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३२०. मनगढ़न्त

'नेटाल ऐडवर्टाइजर' में इस आशयका एक समाचार निकला है कि भारतीयोंकी एक सभा नेटाल भारतीय कांग्रेसके खिलाफ कुछ शिकायतोंपर विचार करने तथा एक नया संगठन कायम करने के लिए हुई। हमें अपने जोहानिसबर्ग-संवाददातासे ज्ञात हुआ है कि यह बेशकीमत खबर विस्तारके साथ तारके जरिए 'जोहानिसबर्ग स्टार' को भेजी गई थी। स्पष्टतः आकांक्षाने ही इस विचारको जन्म दिया जान पड़ता है। यह भी प्रतीत होता है कि कुछ "भलेमानुस" ऐसे हैं जो भारतीय समाजके विभिन्न अंगोंको आपस में लड़ते-झगड़ते देखने को लालायित हैं। अतः हम अपने इन दोस्तोंको यकीन दिलाना चाहते हैं कि इस प्रकारका झगड़ा सम्भव नहीं है, क्योंकि इसका कोई आधार ही नहीं हो सकता। यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस पर प्रेरित विवरणमें इन बातोंका जिक्र नहीं है कि यह सभा कहाँ हुई, किसने बुलाई, कौन इसमें शामिल हुए, और यह कब हुई।

पर हमने इस सम्बन्ध में जानकारी हासिल करनेका प्रयास किया है और हमें ज्ञात हुआ है कि इस तरहकी एक सभा किसी एक खानगी मकानमें हुई जरूर थी। किन्तु तथ्योंकी जानकारी मिलते ही मामलेका सारा स्वरूप बदल जाता है। सभामें इस बातपर चर्चा हुई कि कांग्रेससे अलग एक राजनीतिक संस्था कायमकी जाये; किन्तु वक्ताओंने इस प्रस्तावका समर्थन नहीं किया और न अधिकतर लोगोंकी राय इसके पक्षमें थी। हम समझते हैं कि उपर्युक्त सभाके सभापति श्री वी॰ लॉरेन्सके निम्नांकित पत्रसे, जो उन्होंने 'ऐडवर्टाइज़र' के नाम लिखा है, वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाती है :

महोदय, आपके १७ ता॰ के दूसरे संस्करणके पृष्ठ ५ पर उपनिवेशवासी हिन्दुओं और भारतीय ईसाइयोंकी विगत मंगलवारकी रातमें हुई एक सभाकी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसका शीर्षक है "नेटालके हिन्दू : नेटाल भारतीय कांग्रेससे असन्तोष : प्रतिनिधित्व वाञ्छनीय।" सभाके सभापतिके नाते मेरा फर्ज है कि इस खबर में दो गई बहुत-सी बातोंका जोरदार शब्दोंमें खण्डन करूँ। सभाका उद्देश्य था एक प्रभावशाली एवं प्रतिनिधित्वपूर्ण समितिका निर्माण, जो नेटालवासी भारतीय समाजकी प्रतिनिधि-संस्थाके रूपमें साम्राज्य तथा उपनिवेश-सरकारोंसे मान्यता प्राप्त नेटाल भारतीय कांग्रेसके सामने उस संस्थाको वर्तमानको अपेक्षा अधिक प्रातिनिधिक बनानेका सुझाव पेश करे। यह सत्य नहीं है कि चर्चा के दौरान में बताया गया कि उपनिवेशी भारतीयों और हिन्दू समाजका मुसलमान व्यापारियोंसे सम्बन्ध रखना अपने बारेमें देशके यूरोपीय समाजकी अच्छी रायको धक्का पहुँचानेवाला है। यह केवल विचार ही नहीं, बल्कि सभाका प्रथम और प्रमुख लक्ष्य था कि जो निर्योग्यताएँ भारतीय समाजपर लादी गई हैं और भविष्यमें लादी जा सकती हैं, उनसे मुक्ति पानेके लिए नेटाल भारतीय कांग्रेससे एकता स्थापित की जाये, न कि उससे अलग हुआ जाये। उस रातकी सारी चर्चाका लक्ष्य यही था।