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३२१. क्या भारतीयों में फूट होगी?

'ऐडवर्टाइज़र' में 'नेटालके हिन्दू' शीर्षकसे एक [सभाकी] खबर प्रकाशित हुई है, उससे शायद कोई-कोई भारतीय घबरा जायेंगे। हमें लगता है कि उससे घबराना नहीं चाहिए। उस खबरका सारांश हम अन्यत्र दे रहे हैं। सभामें कौन-कौन था, और वह कहाँ हुई थी, यह नहीं बताया गया। यह भी देखने में नहीं आया कि सभाने क्या प्रस्ताव पास किया है। इसमें शक नहीं कि इस कार्यमें कुछ हताश भारतीयोंका हाथ है। उन्हें गोरोंकी सहायता मिलेगी, यह बात साफ है। सभाका एक परिपत्र हमारे हाथ लगा है। उसमें श्री ब्रायन गेब्रियल, वी॰ लॉरेन्स तथा ए॰ डी॰ पिल्लेके हस्ताक्षर हैं। सभा १५ तारीखको ८ बजे श्री ए॰ डी॰ पिल्लेके घर हुई थी। हम नहीं समझते कि इस सम्बन्धमें कुछ अधिक हलचल करने की आवश्यकता है, क्योंकि कांग्रेसके संविधानमें परिवर्तन करनेका कुछ भी कारण नहीं है। इसके अलावा यह सभा केवल धमकी स्वरूप है, और धमकीसे डरकर परिवर्तन करनेकी आवश्यकता बिलकुल नहीं होती। कांग्रेसके नेताओंका कर्तव्य है कि वे उसके बावजूद कांग्रेसके संविधान और नियमोंसे विचलित न हों। जिन लोगोंने कांग्रेसका चन्दा न दिया हो उनसे लिया जाना चाहिए, और पहले जिस प्रकार वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित होती रही है उसी प्रकार अब भी होनी चाहिए। उपर्युक्त बैठक बुलानेवालेका अथवा उसमें उपस्थित रहनेवालेका दोष मानने की आवश्यकता नहीं है। हिन्दू सुधार सभा के सभा भवनमें जो बैठक हुई थी उससे तथा श्री वी॰ लॉरेन्सके पत्रसे[१] ज्ञात होगा कि 'ऐडवर्टाइज़र' ने जो कार्रवाई प्रकाशित की है, वह झूठी है। इसलिए समझदारोंको और कांग्रेसको अपने-अपने कर्तव्यका पालन करके बेखटके रहना चाहिए। ऐसा होनेपर फुट नहीं पड़ेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २६-१-१९०७
 

३२२. नेटालका परवाना-कानून

प्रत्येक वर्षके आरम्भमें भारतीयोंके लिए नेटालमें बड़ा भय रहता है। व्यापार करनेके लिए परवाना मिलेगा या नहीं, यह भय छोटे-बड़े सब व्यापारियोंको रहता है। इस बार उनपर अधिक अत्याचारकी तैयारी हो रही है।

लेडीस्मिथ

लेडीस्मिथमें इस प्रकारकी सूचना दी जा चुकी है कि किसी व्यापारीको आगामी वर्ष परवाना नहीं मिलेगा। कुछ लोगोंके लिए यह कहकर इस वर्ष भी परवानेकी मनाही की गई है कि उन्हें अंग्रेजीमें बहीखाता रखना नहीं आता।

  1. देखिए पिछला शीर्षक।