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३४७. मिडिलबर्गकी बस्ती

मिडिलबर्गकी भारतीय बस्तीमें रहनेवाले भारतीयोंको वहाँकी नगर-परिषदने तीन महीनेकी सूचना दी है कि वे उतने समय में बस्ती खाली कर दें; जिन्होंने मकान बाँध लिये हैं वे अपने मकान उखाड़ कर ले जायें। मतलब यह है कि बहुत समयसे रहनेवाले भारतीयोंको अपने मकान बिना मुआवजा पाये ही उखाड़ कर ले जाने पड़ेंगे। बस्तीमें रहनेवाले भारतीयोंने इस सम्बन्धमें ब्रिटिश भारतीय संघको पत्र लिखा है। जाँच-पड़ताल हो रही है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ९-२-१९०७
 

३४८. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
डेलागोआ वे जानेवाले भारतीय

इस सम्बन्धमें मैं पिछले सप्ताह लिख चुका हूँ।[१] श्री मंगा डेलागोआ-वे से अभी यहाँ आये हैं। वे पुर्तगाली वाणिज्यदूतसे मिले थे। पुर्तगाली वाणिज्यदूतने स्वीकार किया है कि उनके सामने शपथपूर्वक बयान देनेवालेको जानेकी अनुमति दी जायेगी। उन्होंने अपने नाम लिखे गये पत्रका उत्तर इस प्रकार दिया है :

आपके २२ तारीखके पत्रके उत्तर में निवेदन है कि डेलागोआबेमें विदेशियोंके लिए कोई रोकटोक नहीं है। किन्तु जो विदेशी डेलागोआबेमें रहना चाहते हैं उन्हें रहने का अनुमतिपत्र लेना पड़ता है। यदि उन्हें २० दिनसे कम रहना हो तो नगरपालिकाको अपना नाम-पता और उद्देश्य बताना पड़ता है। इस प्रकारकी लिखा-पढ़ी मेरे साथ की जा सकती है। लिखा-पढ़ी न करनेवालोंको सजा होना सम्भव है। उपर्युक्त नियमके निर्वाहके हेतु प्रायः तीन दिनकी अवधि दी जाती है।

यानी जो भारतीय डेलागोआबे होकर भारत जाना चाहते हों उन्होंने यदि ऊपर लिखे अनुसार पुर्तगाली वाणिज्यदूतसे हस्ताक्षर करवाकर पत्र ले लिया हो तो कोई रोकटोक नहीं होगी।

चुनावकी धूम

चुनावकी धूम चल रही हैं। प्रत्येक उम्मीदवार अपने-अपने चुनाव के लिए बहुत पैसा खर्च कर रहा है। उन्होंने प्रत्येक मतदाताके नाम पत्र लिखे हैं और उनके मत माँगे हैं। सर रिचर्ड सॉलोमन प्रिटोरियामें बहुत प्रयत्न कर रहे हैं। इस महीनेकी २२ तारीख तक चुनावका परिणाम मालूम हो जायेगा। सर रिचर्ड सॉलोमनको 'स्टार' समाचारपत्रने राष्ट्रीय चर (नेशनल स्काउट) कहा है।

  1. देखिए "जोहानिसबर्ग की चिट्ठी", पृष्ठ ३२८-३०।