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३६३. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग
फरवरी २६, १९०७

चि॰ छगनलाल,

मैं अलग पैकेटमें हमीदिया अंजुमनकी पुस्तक छापने के लिए भेज रहा हूँ। पुस्तक उसी छपी हुई रिपोर्टके आकारकी होगी, जिसे मैं तुम्हारे पास सामग्री के साथ भेज रहा हूँ। गुजराती नियमों और उनके अंग्रेजी अनुवादके साथ, जो दोनों तुम्हारे पास पहले भेजे जा चुके हैं, तुम्हें साथ-बन्द गुजराती सामग्री भी छापनी है। जो गुजराती सामग्री अब भेज रहा हूँ उसे अंग्रेजीमें भी करना है और छापना है। मुझे पूरी सामग्रीकी ५०० प्रतियोंकी छपाईका खर्च लिख भेजो। अनुवादका खर्च जोड़ने की जरूरत नहीं है। यह भी बताओ कि पूरा काम अन्दाजन कितने पृष्ठोंमें आयेगा। यह बृहस्पतिको तुम्हारे हाथमें पहुँच जायेगा। यदि तुम मुझे १ शिलिंगमें तार भेज सको तो तारसे छपाईका खर्च बता दो। क्योंकि, आगामी सप्ताह में मेरे वहाँ आनेकी सम्भावना है और मुझे इस बातकी चिन्ता है कि मेरे यहाँ रहते उसके छापने या लौटाने का आदेश मिल जाये। खर्चका प्रश्न मैंने स्वयं उठाया है, क्योंकि मुझे लगा कि यह काम जरा भारी है और यदि उनके पास ऐसा देयक (बिल) भेजा गया जो उन्हें बहुत बड़ा प्रतीत हो तो उन्हें असन्तोष हो सकता है। इसलिए मैंने सोचा कि पहले उन्हें सही स्थितिका पता लग जाये। नियमोंका गुजराती प्रूफ मुझे मिला है। उसे मैं उसी पैकेट में भेज रहा हूँ। तुम्हें छपाई आरम्भ करनेकी आवश्यकता नहीं है; क्योंकि प्रत्येक बात हमारी शर्तोंकी स्वीकृतिपर निर्भर करेगी। गुजराती सामग्रीको फिलहाल तुम्हें अपने पास रखना चाहिए; क्योंकि यदि हमारी शर्तें स्वीकृत हुईं तो वहाँ आनेपर मैं उसका अनुवाद कर सकूँगा।

'इंडियन ओपिनियन' के लिए मैं कुछ और सामग्री भेज रहा हूँ। तुमने मेरे पास एवेरी कम्पनीके कामका प्रूफ भेजा था। मैं इसे वापस कर रहा हूँ। मुझे आश्चर्य है कि तुम्हारी निगाह अंग्रेजी भाग में बड़ी भूलोंपर नहीं गई। मुझे तुम्हें तार भेजना पड़ा।

तुम्हारा शुभचिन्तक,
मो॰ क॰ गांधी

[संलग्न]
[पुनश्च :]

उपनिवेशियोंवाले जिस लेखका अनुवाद करनेको मैंने लिखा था उसे गुजरातीमें देते हुए हम कह सकते हैं कि ये विचार हमारे हैं।

मेरे पत्रोंमें निशान लगाने की जरूरत नहीं है। मदरसेका पैसा दूसरी जगह चढ़ा हुआ था। अब जमा बता दिया गया है। वह रकम और अब जो रकम मिली है, दोनों भरपाईमें हैं। लालभाईका पत्र कल ही मिला। कल्याणदासने कस्टम्स-नोट नहीं भेजा था[१]

गांधीजी द्वारा हस्ताक्षरित टाइप किये हुए मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो नकल (एस॰ एन॰ ४७१०) से।

  1. ये दो अनुच्छेद गुजराती में गांधीजीके स्वाक्षरोंमें हैं।