पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/४०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३६७
फ्रीडडॉ अध्यादेश

बन्धन नहीं था। फिर भी दया करके मजदुर पक्षके लोगोंकी परवाह नहीं की गई और परवाना दिया गया। ऐसा वक्त फिर नहीं आयेगा, यह हमें याद रखना है। गोरोंकी ओरसे इस प्रकार परवाना दिये जानेका विरोध किया जा चुका है। इस वर्षका भय तो गया। किन्तु इसी प्रकार यदि हर बार होगा तो लोगोंके परवाने रद्द किये जायेंगे और ऐसे लापरवाह व्यक्तियोंको कांग्रेस भी मदद नहीं कर सकेगी। इस बातको याद रखकर प्रत्येक भारतीयको बहीखाते ठीक तरहसे रखने चाहिए, और घर और दूकान साफ रखनेकी ओर पूरा ध्यान देना चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २-३-१९०७
 

३६७. दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति

यह समिति बहुत अच्छा काम कर रही है, यह हमें अभीके दो तारोंसे मालूम हो सकता है। एक तारमें तो लेडीस्मिथके सम्बन्ध में समिति द्वारा की गई कार्रवाईका समाचार है। और बताया गया है कि उसके परिणामस्वरूप लॉर्ड एलगिनने बहुत लिखा-पढ़ी की है। लेडी-स्मिथमें एक वर्ष बाद परवाना न देनेकी सूचना दी गई थी। उसे सार्वजनिक रूपसे वापस लेना पड़ा है। दूसरे, फीडडॉर्प अध्यादेश पास हो गया है। फिर भी भारतीय अधिवासियोंको हरजाना दिलाने के लिए सरकार लॉर्ड सेल्बोर्नसे पत्र व्यवहार कर रही है। इससे और श्री रिचके हर हफ्ते जो पत्र प्रकाशित किये जाते हैं उनसे हम समझ सकते हैं कि दक्षिण आफ्रिकी समिति बन जाने से हमें बहुत लाभ होने की सम्भावना है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २-३-१९०७
 

३६८. फ्रीडडॉ अध्यादेश

इस अध्यादेशके विषयमें हम इस बार कुछ फोटो प्रकाशित कर रहे हैं। उनसे मालूम होगा कि श्री चचिलने जिन्हें झोंपड़ा माना है वे झोंपड़े नहीं, बल्कि बढ़िया मकान हैं। यह परिशिष्ट प्रकाशित करनेकी आवश्यकता थी, क्योंकि इसके द्वारा हम लॉर्ड एलगिनको बता सकते हैं कि उन्हें यहाँसे जो समाचार भेजे जाते हैं वे सब सही न मान लिये जायें। इसमें भी विशेषतः जब वे समाचार भारतीयोंके सम्बन्धमें हों, तब तो क्वचित् ही सही होंगे। क्योंकि हमारे प्रति जितना तिरस्कार गोरोंको है उतना ही प्रायः गोरे अधिकारी भी रखते दिखाई देते हैं। लॉर्ड सेल्बोर्नको यह जानकारी नहीं होगी कि फ्रीडडॉर्पके भारतीयोंके घर कैसे हैं। इसलिए हम उन्हें दोष नहीं दे सकते। परन्तु बिगाड़नेवाले तो नीचे के अधिकारी हैं।