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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

ट्रान्सवालमें अनुमतिपत्र

जो लोग ट्रान्सवालमें बिना अनुमतिपत्रके रहते हैं उनके सम्बन्धमें एक सूचना प्रकाशित हुई है। उसके बारेमें मैं पिछले सप्ताह लिख चुका हूँ।[१] उस सम्बन्धमें संघ के द्वारा प्रश्न किये जानेपर श्री चैमनेने उत्तर दिया कि जो लोग पुराने डच प्रमाणपत्रोंके आधारपर ट्रान्सवालमें रहते होंगे उन्हें ३१ मार्च तक अनुमतिपत्र दिये जायेंगे और ३१ मार्चके बाद जो बिना अनुमतिपत्रके रहते पाये जायेंगे उनपर मुकदमा चलाया जायेगा। इससे किसीको यह नहीं समझना चाहिए कि जिनके पास डच प्रमाणपत्र होगा उन्हें अनुमतिपत्र मिल ही जायेगा। उन लोगोंको भी ये सबूत देने होंगे कि डच प्रमाणपत्र अपना खुदका है; और प्रमाणपत्र रखनेवाला व्यक्ति, लड़ाई शुरू होने के ऐन पहले ट्रान्सवालमें था और उसने लड़ाईके कारण ट्रान्सवाल छोड़ा था।

इस तरहके सबूतवाले प्रत्येक व्यक्तिको जो ट्रान्सवालमें हो, जैसे बने वैसे, तुरन्त अनुमतिपत्र ले लेना चाहिए। किन्तु इतना याद रखना चाहिए कि अर्जदारको अनुमतिपत्र न मिले तो वह अपना पंजीयनपत्र उन्हें न दे।

ट्रान्सवालका शासकवर्ग

जनरल बोथाने अपना मन्त्रिमण्डल अब पूरा कर लिया है। वे स्वयं प्रधान मन्त्री हैं। जनरल स्मट्स उपनिवेश मन्त्री हुए हैं। श्री डी विलियर्स न्याय और खानमन्त्री हैं। श्री हल राजस्व मन्त्री हैं। श्री रसिक काफिरोंके प्रतिनिधि हैं और श्री ई॰ पी॰ सॉलोमन लोककार्यके मन्त्री हैं। सर रिचर्ड सॉलोमनने कोई भी पद लेनेसे इनकार कर दिया है। जान पड़ता है इस मन्त्रिमण्डलमें भारतीय समाजको श्री डी विलियर्स तथा श्री स्मट्सकी ज्यादा आवश्यकता पड़ेगी। अब देखना है क्या होता है।

एशियाई बाजारका कानून

इसी सरकारी 'गजट' में बस्तीके सम्बन्धमें कानून प्रकाशित किया गया है। उससे जान पड़ता है कि अभी बस्तीकी बात भुलाई नहीं गई है। इस कानूनको प्रकाशित करनेका उद्देश्य यह मालूम होता है कि एशियाई विभागको जैसे-तैसे अलग चालू रखा जाये ।

श्री आमद सालेजी कुवाड़िया

श्री आमद सालेजी कुवाड़िया ब्रिटिश भारतीय संघ और हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके सदस्य और सुरती मस्जिदके मुतवल्ली हैं। वे स्वदेश जानेके लिए यहाँसे रविवारको गये हैं। श्री आमद सालेजीने, अध्यादेशके सम्बन्धमें जो टक्कर ली गई, उसमें खासा भाग लिया था। उन्हें श्री मामद ममदू, श्री एम॰ पी॰ फैन्सी, श्री भाणाभाई, श्री ईसप मियाँ, श्री मूसा दावजी करीम, श्री गुलाम मुहम्मद कड़ोदिया वगैरहकी ओरसे दावत दी गई थी। श्री फैन्सीकी ओरसे सोनेके लॉकेट आदि भेंट में दिये गये। सूरती मस्जिदमें भी जुम्मेके दिन उनका अभिनन्दन किया गया था। फूल-हार पहनाये गये थे। श्री आमद सालेजी दक्षिण आफ्रिकामें बाइस वर्ष पहले आये थे। उनकी उम्र ४२ वर्षकी है। वे १० वर्ष बाद स्वदेश जा रहे हैं।

  1. देखिए "जोहानिसबर्ग की चिट्ठी", पृष्ठ ३६२-६३।