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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
प्रार्थना करता है कि जबतक हमारी आपत्ति न सुन ली जाये, विधेयकपर आगे विचार करना स्थगित रखा जाये। संघ आपको स्मरण दिलाता है कि परिषदका काम मताधिकाररहित लोगोंके हितोंकी रक्षा करना है। भारतीय समाज वफादार है, किन्तु उसे मताधिकार नहीं है। भारतीय चोरीसे बड़े पैमानेपर आते हैं, इस बातको संघ बिलकुल स्वीकार नहीं करता। सभी वयस्क भारतीयोंके पास नाम और निशानीयुक्त अनुमतिपत्र हैं। जिनके पास अनुमतिपत्र न हों उन्हें सरकार अब भी निर्वासित कर सकती है। हमारी प्रार्थना है कि उपर्युक्त आरोपकी जाँच करनेके लिए एक आयोगकी नियुक्ति की जानी चाहिए। हम समझते हैं कि विधेयक अत्याचारी और अनावश्यक है। संघ परिषदसे न्यायके लिए प्रार्थना करता है।

यह तार परिषद में पढ़ा गया किन्तु उसका नतीजा कुछ नहीं हुआ। अब वह विधेयक हस्ताक्षरके लिए लॉर्ड एलगिनके समक्ष गया है।

विधेयक पेश करते समयके भाषण

उपनिवेश-सचिव श्री स्मट्सने कहा कि इस सम्बन्ध में ट्रान्सवालकी सारी गोरी प्रजा एकराय है। भारतीयोंका प्रवेश रुकना चाहिए। वे बहुत बड़ी संख्या में आ रहे हैं। उन्हें रोकनेका डच सरकारने प्रयत्न किया था, इसलिए लड़ाई हुई। जो विधेयक आज पेश किया गया है वह भूतपूर्व परिषदमें पेश किया जा चुका था। इसमें केवल भारतीयोंका पंजीयन करवाने की बात है। १८८५ का कानून ३ ठीक नहीं है। इसलिए इस नये विधेयकसे वह दोष दूर हो जायेगा। बड़ी सरकारने पहला विधेयक नामंजूर किया इसका कारण यह था कि उसे पुरानी परिषदने पास किया था। अब हम दिखा सकते हैं कि यह सर्वानुमतिसे पास किया जा रहा है। इस विधेयकके पास हो जानेपर दूसरे कानून बनाने होंगे। सो बादमें देखा जायगा। अभी तो हमें यह जानना जरूरी है कि इस देशमें रहनेका अधिकार किसे हैं। इसलिए यह विधेयक आज ही पास करना जरूरी है।

डॉक्टर क्राउने समर्थन किया। श्री ओवेन जॉन्सने कहा कि सारी नगरपालिकाएँ यह कानून चाहती हैं। गोरोंकी रक्षा करना बिलकुल जरूरी है। इस विधेयकको इतनी जल्दी पेश करने के लिए श्री लवडेने सरकारको धन्यवाद दिया। श्री जेकब्सने कहा, सारे किसान भारतीयोंको भगा देना चाहते हैं। यदि वे नहीं गये तो किसानोंकी जमीनें भी छीन लेंगे। ट्रान्सबालमें गोरे रह सकते हैं किन्तु भारतमें नहीं रह सकते। इसलिए यहाँसे उन लोगोंको निकालना ही चाहिए।

जनरल चोक-बरगरने समर्थन किया। सर पर्सी फिट्ज़पैट्रिकने समर्थन किया और विधेयक पास होनेपर परिषद में भेज दिया गया।

परिषद् में

श्री कटिसने कहा यह विधेयक तो पास होना ही चाहिए, किन्तु विलायतमें यह खयाल न हो कि परिषदने बिना विचार किये विधेयक पास कर दिया है, इसलिए परिषदको विचार करनेके लिए एक रात मिलनी चाहिए। यह विधेयक बहुत ही जरूरी है। मैं अपने अनुभवसे कह सकता हूँ कि हर महीने एक सौ भारतीय बिना अनुमतिपत्रके ट्रान्सवालमें प्रवेश करते हैं। इसलिए दक्षिण आफ्रिकाको यदि गोरोंके कब्जे में रहना हो तो यह विधेयक पास होना ही चाहिए।