पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/४३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

४०९. लोबिटो-बे जानेवाले भारतीय

पुर्तुगाली आफ्रिकामें केपके उत्तर १,००० मीलपर लोबिटो बे है। वहाँ श्री स्टोन नामक एक अंग्रेज भारतीय मजदूरोंको ले जाना चाहते हैं। लोबिटो-बेमें एक अंग्रेज कम्पनी रेल बना रही है। उसमें काम करने के लिए भारतीयोंको ले जानेका उनका इरादा है। यह सवाल उठा है कि भारतीय समाज इसमें प्रोत्साहन दे या नहीं। डर्बन स्वच्छता संघ-(सेनीटरी असोसिएशन) के अध्यक्ष जो कुछ हकीकतें प्रकाशमें लाये हैं उनसे मालूम होता है कि श्री स्टोनने डर्बनमें भारतीयोंको बहुत बुरी दशामें रखा है। उनके लिए जो मकान लिया गया है, वह बहुत ही छोटा और गंदा है। यह हकीकत यदि सही हो तो हमें सोचना है कि भारतीय मजदूरोंको लोबिटो-बे जानेसे लाभ होगा या नहीं। श्री स्टोनको भारत सरकारकी ओरसे अनुमति भी मिल चुकी है। इसलिए अब उन्हें भारतीय समाजकी सहायताकी अपेक्षा नहीं रहती। परन्तु इस उदाहरणसे हमें समझ लेना है कि भारतीय समाज ऐसे काम में सम्मति नहीं दे सकता। उलटे, आवश्यक होनेपर विरोध कर सकता है। हमें यह समाचार मिला है कि लोबिटो-बेकी जलवायु अच्छी है। इसलिए सम्भव है कि भारतीय मजदूर वहाँ सुखी होंगे। किन्तु यह बहुत-कुछ उनके साथ जानेवाले मुखियाओंकी भलमनसाहतपर निर्भर रहेगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३०-३-१९०७
 

४१०. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
एशियाई अध्यादेश

ट्रान्सवालकी नई संसदने एशियाई अध्यादेशको दो दिनमें, जैसा सितम्बरमें था उसी हालतमें, पास कर दिया है। तारीख २० को अध्यादेश विधानसभा में पेश किया गया। उसी दिन दो घंटेमें उसके तीन "वाचन" हुए और वह तुरन्त ही विधान परिषदमें भेज दिया गया। वहाँ श्री मार्टिनके कहने से वह सदस्योंसे पूछताछ करनेके हेतु २२ तारीख तक मुल्तवी रखा गया। लेकिन यह निरा ढोंग ही माना जायेगा। एक रातमें सदस्य क्या समझ सकते हैं? २२ तारीखको विधान परिषदने उसे पास कर दिया।[१]

संघका तार

विधेयक इस प्रकार पास होगा इसका किसीको स्वप्न में भी खयाल न था। इस बातके मालूम होते ही संघने तुरन्त नीचे लिखे अनुसार तार किया है :

संघको यह देखकर बहुत खेद हुआ है कि एशियाई विधेयक सभामें पास किया जा चुका है और सम्भव है कि आज परिषदमें भी पास हो जायेगा। संघ नम्रतापूर्वक

  1. दक्षिण आफ्रिका सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय १५ में गांधीजी कहते हैं कि "विधेयकपर सारी कार्रवाई मार्च २१, १९०७ को एक ही बैठकमें समाप्त कर दी गई"।