पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/४४

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११. पत्र : ए० एच० गुलको

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर २५, १९०६

प्रिय श्री गुल,

आपके पिताजीने मुझसे कहा है कि जोहानिसबर्ग लौटनेके पहले मैं आपसे अवश्य मिल लूँ। फिलहाल मेरी जो व्यवस्था है उसके कारण मुझे मित्रोंके घर जाकर उनसे मिलने की गुंजाइश नहीं है। हो सकता है कि मैं अपने मुकामकी पूरी अवधिमें बहुत व्यस्त रहूँ; इसलिए क्या आपसे कह सकता हूँ कि आप किसी भी दिन ऊपरके पतेपर ९ और ९-३० बजे सबेरेके बीच आकर मुझसे मिल लें। सारा दिन लोगोंसे जाकर मिलनेमें बीत जाता है और मैं कह नहीं सकता, घर कब रहूँगा। आशा है, आपका काम ठोक चल रहा है।

आपका सच्चा,

श्री ए० एच० गुल
[१] २७, पेकहम रोड, एस० ई०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४३९४) से।

१२. पत्र: एल० एम० जेम्सको

[होटल सेसिल
लन्दन]
अक्तूबर २५, १९०६

प्रिय श्री जेम्स,

यह सोचकर कि आप आयेंगे, मैंने बुधवारको दोपहरके भोजनके समय आपकी प्रतीक्षा की। खेद है, आप नहीं आये। मैं मानता हूँ कि किसी कामसे रुक गये होंगे। आपने कृपापूर्वक जो रूमाल मुझे दिया था सो वापस कर रहा हूँ। शायद आप मुझसे किसी और समय मिल सकेंगे। श्री ल्यू[२] चीनी दूतावाससे एक प्रतिनिधि मेरे पास भेजनेवाले थे। उसके बारे में मुझे विदेश-कार्यालयके नाम पत्र[३] तैयार करना है। इसलिए क्या आप कृपा करके अपने

  1. केपटाउनके एक प्रमुख भारतीय श्री हमीद गुलके पुत्र।
  2. युक लिन ल्यू, ट्रान्सवालमें प्रधान चीनी राजदूत। वे और श्री जेम्स दोनों उसी जहाजसे गये जिससे गांधीजी और हाजी वजीर अली नये थे।
  3. देखिए "चीनी राजदूतके लिए पत्रका मसविदा", पृष्ठ ६३।