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नेटाल भारतीय कांग्रेसकी बैठक

साथ ही आम समाज उसमें शामिल नहीं। दिये आँकड़ोंके अनुसार अनेक दण्डितोंको देशनिकाला। 'रैंड डेली मेल' टिप्पणी करता है कि प्रतिवेदन नये कानूनकी जरूरत साबित नहीं करता। वह साफ साबित करता है कि वर्तमान प्रणाली काफी अच्छी है। भारतीय शिष्टमण्डल उपनिवेश मन्त्री से मिला और समझौतेका प्रस्ताव उनके सामने रखा। उत्तर अनिर्णयात्मक। सहानुभूतिपूर्ण प्रभाव काम कर रहे हैं।

ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सी॰ ओ॰ २९१ / १२२।
 

४२१. नेटाल भारतीय कांग्रेसकी बैठक

[अप्रैल ८, १९०७]

ट्रान्सवालके भारतीयोंके प्रति सहानुभूतिका प्रस्ताव

श्री दाउद मुहम्मदकी अध्यक्षतामें नेटाल भारतीय कांग्रेसकी बैठक सोमवार, तारीख ८ की रातको लगभग ८-३० बजे हुई थी। उसमें बहुत-से सदस्य उपस्थित थे। पिछली बैठककी कार्रवाई और हिसाब वगैरह स्वीकार कर लिये जानेके बाद श्री मोतीलाल दीवानके निवेदन और श्री पीरन मुहम्मदके समर्थनसे यह प्रस्ताव स्वीकार किया गया कि ट्रान्सवालके भारतीयोंने एशियाई विधेयकके विरोधमें जो लड़ाई शुरू की है उसके लिए नेटाल भारतीय कांग्रेस उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करती है और बड़ी सरकारसे निवेदन करती है कि वह भारतीय समाजको पूरा संरक्षण दे। यह प्रस्ताव तार द्वारा विलायत पहुँचानेका मन्त्रीको आदेश मिला है।

उमर हाजी आमद झवेरीका त्यागपत्र

श्री उमर हाजी आमद झवेरी भारत जाना चाहते थे और उन्होंने अपना त्यागपत्र दिया था; अतः इसके बाद वह कांग्रेसके समक्ष रखा गया। श्री गांधीने, जो इस बैठक में शामिल थे, सलाह दी कि श्री झवेरीका त्यागपत्र स्वीकार किये बिना कांग्रेसके लिए कोई रास्ता नहीं है। श्री झवेरीके अभावकी पूर्ति करनेवाला यद्यपि एक भी व्यक्ति नहीं है, फिर भी सबसे अच्छा रास्ता यही जान पड़ता है कि श्री दादा उस्मानको अवैतनिक संयुक्त मन्त्रीका पद दिया जाये।

श्री अब्दुल कादिरने राय दी कि श्री झवेरीका त्यागपत्र उनके रवाना होनेकी तारीखसे ही मंजूर किया जाना चाहिए और इसलिए उनके त्यागपत्र एवं दूसरे मन्त्रीकी नियुक्तिके सम्बन्धमें दूसरी बैठकमें विचार करना अधिक उपयुक्त होगा।

श्री पीरन मुहम्मदने भी श्री अब्दुल कादिरकी रायका समर्थन किया और त्यागपत्र तथा [उत्तराधिकारीकी] नियुक्तिकी बात दूसरी बैठक के लिए स्थगित की गई।

उसके बाद श्री लॉरेन्सने कुछ युवकोंको कम चन्देपर भरती करनेके सम्बन्धमें जो पत्र लिखा था, उसपर विचार किया जाने लगा। कुछ चर्चाके बाद श्री गांधीके प्रस्ताव और