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४१९. तार : उपनिवेश-मन्त्रीको[१]

जोहानिसबर्ग
अप्रैल ६, १९०७

[सेवामे
उपनिवेश मन्त्री]
लन्दन

मार्च २९ को ब्रिटिश भारतीयोंकी आम सभा। उपस्थिति १,५००। ट्रान्सवालविधान परिषद द्वारा हाल में पास एशियाई कानून संशोधन विधेयकके विरोधमें प्रस्ताव पास। इस समय समाजके पास जो प्रमाणपत्र हैं, उनके बदले में स्वेच्छया पंजीयनका सुझाव दिया गया। नये प्रमाणपत्रका मसविदा परस्पर तय किया जायेगा। विधेयकका सारा मंशा आक्रामक ढंगके विधेयकके बिना प्रस्ताव द्वारा पूर्ण। यदि समझौता मंजूर न हो तो संघ ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे, जो दुर्बल मताधिकारहीन अल्पसंख्यक हैं, शाही मध्यस्थताका प्रार्थी। विधेयक विधान-परिषद में तीव्र गति से २४ घण्टे में पास। उसके पास होते ही संघने सरकारसे आपको तार देनेकी प्रार्थना की। परन्तु सरकारने यह कहकर इनकार कर दिया कि संघके सीधा तार देनेपर एतराज न होगा। अतः यह तार दिया। और निवेदन स्थानीय सरकारसे बातचीतके परिणामके बाद।

ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सी॰ ओ॰ २९१ / १२२।
 

४२०. तार : द॰ आ॰ ब्रि॰ भा॰ समितिको[२]

जोहानिसबर्ग
अप्रैल ६, १९०७

दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीय समिति
लन्दन

एशियाई पंजीयकका प्रतिवेदन[३] प्रकाशित। भारतीयोंका पक्ष पूर्णतया उचित सिद्ध। भारी संख्यामें छलसे प्रवेशका कोई प्रमाण नहीं। चोरी किये गये परवानोंसे या बिना परवाने प्रवेश करनेवाले एशियाइयोंकी कथित संख्या कुल ८००। कोई विवरण नहीं दिया गया। सम्भवतः प्रतिवेदनका अभिप्राय पाँच सालके अन्दर के प्रवेशोंसे है। उससे प्रकट कि एशियाई विरोधी आरोप निराधार।

  1. ऐसा ही एक तार समाचार-पत्रों में प्रकाशनार्थ रायटरको भेजा गया था।
  2. यह श्री एल॰ डब्ल्यू॰ रिचने अप्रैल ९ को उपनिवेश-उपमन्त्रीके पास भेजा था।
  3. देखिए "चैमनेकी रिपोर्ट", पृष्ठ ४२८-२९।