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जोहानिसबर्ग की चिट्ठी

देना तय किया गया था जो लड़ाईके पहले ट्रान्सवालमें रहते थे। १८९९ पहलेके पंजीयनपत्र खो जानेके कारण यह पहचानना मुश्किल था कि ट्रान्सवालके पुराने निवासी कौन-कौन हैं। इसके अतिरिक्त, लड़ाईके पहले तीन पौंड देनेवाले व्यक्तिको बिना नामके केवल रसीद ही दी जाती थी, इसलिए यह साबित नहीं किया जा सकता था कि उनमें से यह रकम देनेवाले कौन लोग हैं। कई लोग इन पंजीयनपत्रोंको बहुत-सा पैसा लेकर बेच देते थे। १२,५४३ अनुमतिपत्रों में से ४,१४४ व्यक्तियोंने पहले ३ पौंड दिये थे। कुछ पंजीयनपत्रोंपर तो भारतीय भाषा में ऐसा कुछ लिखा हुआ दिखाई देता है कि उसके आधारपर हम कह सकते हैं कि पंजीयनपत्र किसी और के होने चाहिए। इस समय अनुमतिपत्र देनेके बारेमें दो रायें ली जाती हैं। एक तो यह कि डर्बनमें जो तटीय एजेंट रखा गया है, वह जाँच करता है; और दूसरा यह कि जगह-जगह यूरोपीयोंके सलाहकार-निकाय बने हुए हैं। जोहानिसबर्ग पुलिस कमिश्नर जाँच करते हैं और जो ठीक प्रमाण नहीं दे पाते उन्हें अनुमतिपत्र नहीं दिया जाता। १९०५ से दिसम्बर १९०६ तक कुल मिलाकर ५९६ अनुमतिपत्र दिये गये थे। ३,२८६ व्यक्तियोंकी अनुमतिपत्र सम्बन्धी अर्जियाँ खारिज की गई थीं। उपर्युक्त अनुमतिपत्रोंमें १२,२४० भारतीयोंके और १,२३८ चीनियोंके थे। इसके अलावा ट्रान्सवालमें बहुत-से एशियाई बिना अनुमतिपत्रके या दूसरोंके अनुमतिपत्र लेकर आये हैं। ऐसे सभी लोग पकड़े नहीं जा सकते; क्योंकि सबको अँगूठे लगानेके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ऐसे लोगोंकी संख्या ८७६ है। उनमें २१५ पर मुकदमा चलाया गया था और उन्हें सजा हुई थी। उपर्युक्त संख्या में उन लोगोंकी गिनती नहीं है जो दिखाई नहीं दिये और देशमें घुस गये हैं। इसी प्रकार जिन १४१ लोगोंको डर्बनसे ही लौटा दिया था उनका भी समावेश नहीं है। अधिक से अधिक कठिनाई एशियाई लड़कों के बारेमें होती है। सर्वोच्च न्यायालयके फैसलेके अनुसार यह नहीं मालूम होता कि किस लड़केको अनुमतिपत्र लेना ही चाहिए। इससे भारतीय लड़के बहुत घुस आये हैं। इस परिस्थितिमें एशियाई कानून संशोधक अध्यादेश लागू किया गया था। १९०४ की जनगणना के अनुसार १५ वर्षसे कम उम्रवाले एशियाई लड़के१,७७४ थे। ४१७ अनुमतिपत्र खो गये मालूम होते हैं। धन्धेके अनुसार एशियाइयोंके निम्न विभाग किये जा सकते हैं :

१९०५ जून १९०६ जून ज्यादा
फुटकर व्यापारी १,०५४ १,१०५ ५१
फेरीवाले ३,०८६ ३,५८७ ५०१
पर्यटक व्यापारी ४६ २२९ १८३
एजेंट ११
नानवाई
कसाई ४३ ४०
भोजनालयों [के मालिक] ६३
धोबी ३२ ६० २८
पंसारी १३५ १३१
दूधवाले
फलवाले १९ ११

इसके अलावा इस रिपोर्टमें एक सूची दी गई है, जिसमें बताया गया है कि भारतीय बस्तियाँ कहाँ-कहाँ निर्धारित की गई हैं।

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