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लेडीस्मिथकी अपीलें

सन्तानके दोषोंपर ध्यान न देकर केवल गुणोंका ही विचार करता है और उमंगपूर्वक मिलता है, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं। जहाँ इस प्रकारका सम्बन्ध हो वहीं कुटुम्बका उत्कर्ष होता है। ऐसे सम्बन्धके बलपर ही जनता ऊपर उठती है। अंग्रेजोंकी उन्नतिका यह एक प्रबल कारण है। वे अपने भाइयोंकी अथवा अपनी सन्तानोंकी उन्नतिको देखकर ईर्ष्या नहीं करते।

फिर ये मन्त्री, जिन्हें इतना सम्मान मिल रहा है, बहादुर हैं। ये एक-दूसरेके चक्कर में आनेवाले नहीं हैं, और देशके हितमें साहसके कार्य करनेवाले हैं। इसीलिए अंग्रेज उनका स्वागत करते हैं। जब जनरल बोथा साउथैम्पटनमें उतरे, वहाँकी नगरपालिकाने उनका सम्मान किया। वे अंग्रेज तो नहीं हैं किन्तु अंग्रेजोंके समान गुणी और बहादुर योद्धा हैं। उन्होंने कहा : "एक समय वह था जब अंग्रेजोंने मुझको लड़ाईमें घेरा था। आज ऐसा समय है कि अंग्रेजोंसे घिर कर खुश हो रहा हूँ। और आप सब इतने लोग मुझे घेर रहे हैं, तो भी मुझे डर नहीं लग रहा है, बल्कि आप जितना अधिक मुझे घेरेंगे उतना ही अधिक मैं खुश होऊँगा।" यह भाषण अपनी देशभक्ति दिखाने के लिए उन्होंने डच भाषामें ही किया था।

इन सारी बातों से हमें ईर्ष्या नहीं करनी है। बल्कि उन्हें शाबाशी देनी है। और यदि हममें जनताका हित करनेका गुण हो तो उनके समान हमें भी जनताके हितमें लग जाना है तथा उनके समान ही जनताके हितमें मरने तक के लिए तैयार रहता है।

[गुजरातीस]
इंडियन ओपिनियन, २०-४-१९०७
 

४३४. लेडीस्मिथकी अपीलें

लेडीस्मिथसे ग्यारह अपीलें सर्वोच्च न्यायालय में गई थीं। उनका परिणाम, जैसी हमारी धारणा थी, वही हुआ है। उन मुकदमोंमें परवाना अदालतने गवाही आदि न लेकर वैसे ही निर्णय दे दिया था, इसलिए उन्हें अपील नहीं कहा जा सकता। इस आधारपर उच्च न्यायालयने अपील अदालतका निर्णय रद कर दिया है और दुबारा मुकदमोंकी सुनवाई करनेका आदेश दिया है। जिन ग्यारह अर्जदारोंको परवाने नहीं मिले हैं, वे दुबारा अपील कर सकते हैं। और यदि अपील अदालत सबूत लेते हुए भी हठपूर्वक परवाना न दे तो आवेदक कुछ भी नहीं कर सकेंगे।

इन मामलोंमें सोमनाथ महाराजके मुकदमेके समान न्यायालयने अर्जदारोंको खर्च नहीं दिलवाया है, यह बुरी बात है। यदि खर्च दिलवाया होता तो अपील अदालतके सदस्य कुछ डर जाते। इस अपीलको हम पूरी जीत नहीं कह सकते। परवाना अधिनियम ज्योंका-त्यों कायम है। इसके सिवा विशेष परिणामकी आशा नहीं थी। इसलिए निराश होनेका कारण नहीं। नेटाल भारतीय कांग्रेसको लड़ाई जारी रखनी है। यदि ठीक तरहसे मेहनत की जायेगी तो परवाना अधिनियम रद होकर रहेगा।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २०-४-१९०७