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उमर हाजी आमद झवेरीको बिदाई

स्वयं पढ़ाते हैं। श्री उमर हाजी आमद झवेरीका जैसा नाम है वैसे ही गुण हैं। उनकी उम्र अभी कम है और जैसे उनके विचार आज हैं यदि इसी प्रकार दिनोंदिन बढ़ते जायें तो सम्भव है कि वे भारतके लिए अमूल्य बन जायेंगे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ११-५-१९०७
 

४६१. कल्याणदास जगमोहनदास [मेहता]

जिस जहाजसे श्री उमर हाजी आमद झवेरी गये हैं उसी जहाजसे श्री कल्याणदास नामके एक व्यक्ति गये हैं, जो गुणसे 'जौहरी' हैं। श्री उमर झवेरीका काम नेतृत्व करना था। किन्तु श्री कल्याणदासका काम पीछे रहकर बिना बोले सत्कर्म करना था। वे उम्र से अभी बिलकुल लड़के ही हैं। किन्तु जैसा हमें अनुभव हुआ है, मनकी कोमलतामें, पैसेका तिरस्कार करनेमें, अपने शरीर की ओरसे लापरवाह रहने में, किन्तु दूसरेके हितकी उतनी ही परवाह करनेमें शायद ही दूसरा कोई युवक उनके मुकाबलेका दिखाई देता है। जोहानिसबर्ग में जब भयंकर प्लेग शुरू हुआ था तब श्री कल्याणदासने जो काम किया वह यहाँके भारतीयोंको मालूम ही है। हम तो नहीं जानते कि उनसे किसीको नाराज होनेका प्रसंग आया हो। श्री उमर हाजी आमद झवेरी और श्री कल्याणदास जैसे सिपाही यदि भारत में बहुत-से निकल पड़ें तो उसकी बेड़ियाँ आज ही कट सकती हैं। पैसे या मानकी रत्ती भर भी परवाह किये बिना, स्वप्न में भी नेता बनने का विचार मनमें लाये बिना कर्तव्यके नामसे, यानी खुदाके नाम से, चुपचाप निरन्तर परोपकारका काम करते रहना और उसे करते हुए हँसमुख रहना. ऐसे वीर हमें हर जगह नहीं दिखाई देते। ऐसे कल्याणदास बिरले ही मिलते हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ११-५-१९०७
 

४६२. उमर हाजी आमद झवेरीको बिदाई[१]

नेटाल भारतीय कांग्रेसके संयुक्त अवैतनिक मन्त्री और नेटालके सुप्रसिद्ध एवं लोकप्रिय श्री उमर हाजी आमद झवेरी स्वदेश लौट रहे हैं, इसलिए उनके सम्मान में बहुत लोगोंने भोज दिये थे। अन्तमें तारीख ६ की रातको नेटाल कांग्रेसके अध्यक्ष श्री दाउद मुहम्मदके पाइन स्ट्रीटके सभा भवनमें कांग्रेसकी सभा हुई थी। भोज देनेवालोंमें श्री दादा उस्मान, श्री अहमद उस्मान, श्री तैयब मूसा, श्री पीरन मुहम्मद, 'इंडियन ओपिनियन' का कर्मचारी वर्ग, श्री दादा अब्दुल्ला, श्री जी॰ एच॰ मियाँखाँ, श्री एम॰ सी॰ आँगलिया, श्री मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन, और श्री पारसी रुस्तमजी थे। इन सब जगहों में ४० से लेकर १०० तक व्यक्तियोंको आमन्त्रित किया गया था। और बहुतसी जगहों में हिन्दू, मुसलमान, पारसी और ईसाई, सभी कौमोंके भारतीयोंको बुलाया गया था। हर भोज में श्री उमर हाजी आमद झवेरीकी

  1. यह इंडियन ओपिनियनके लिए विशेष रिपोर्टके रूपमें प्रकाशित हुआ था। रिपोर्ट, लगता है, गांधीजीने तैयार की थी, जो स्वयं कुछ विदाई समारोहों में उपस्थित थे।