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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
गया तो मैं खुदा पाकको बीचमें रखकर शपथपूर्वक कहता हूँ कि मैं उसे कभी स्वीकार नहीं करूँगा, बल्कि जेलमें जाऊँगा। मैं आशा करता हूँ, ट्रान्सवालके भारतीय भाई भी वैसा ही करेंगे। श्री छबीलदासके सम्बन्धमें श्री आँगलियाने जो कहा है उसका मैं समर्थन करता हूँ। उन्होंने कांग्रेसकी बहुत ही सेवा की है।

श्री इस्माइल गोराका भाषण

श्री इस्माइल गोराने कहा :
श्री उमर हाजी आमद झवेरीके सम्बन्धमें जो कुछ कहा जा रहा है उसे मेरा पूरा समर्थन है। उन्होंने कौमकी बहुत अच्छी सेवा की है। श्री रुस्तमजी स्वदेशसे लौटे हैं। इससे कांग्रेसका काम बहुत ठीक हो जायेगा। एशियाई कानूनके खिलाफ हमें बहुत लड़ाई लड़नी है। सितम्बरका चौथा प्रस्ताव भारतीय कभी नहीं छोड़ सकते। यदि हम उस प्रस्तावको छोड़ देंगे तो हमारा बहुत नुकसान होगा। नेटाल भारतीय कांग्रेसका पैसा समाप्त हो रहा है। हमपर बैंकका कर्ज है। इसलिए आशा करता हूँ कि उसके लिए मन्त्रिगण पूरी मेहनत करके चन्दा उगाहेंगे।

श्री छबीलदास मेहता बोले कि उन्हें श्री उमर हाजी आमद झवेरी जैसे सेठ मिले, इसीलिए कौमकी सेवा की जा सकी है। उन्होंने अपने कर्तव्यसे परे कुछ नहीं किया।

श्री दादा उस्मानका भाषण

श्री दादा उस्मानने कहा :
श्री उमर मेरे भाई हैं। उनके बारेमें मैं अधिक नहीं बोल सकता। किन्तु इतना तो कहता हूँ कि भारतीय समाज श्री उमर जैसे कई नर पैदा करे। मेरा चुनाव करके मेरा जो सम्मान किया गया है, उसके लिए मैं कांग्रेसका आभारी हूँ। मैं कितनी सेवा कर सकूंगा, यह कांग्रेसको और मुझे देखना है। मैं अपनी ओरसे भरसक मेहनत करूँगा। श्री रुस्तमजीके आ जानेसे मुझे हिम्मत मिली है और श्री आंगलिया के साथ रहकर काम करने में मैं गर्व महसूस करूँगा।

श्री झवेरीका जवाब

श्री उमरने सभी मानपत्रोंका बहुत ही संक्षिप्त किन्तु प्रभावशाली उत्तर दिया। उस सम्बन्धमें भाषण करते हुए उन्होंने कहा :

इतने भोजों और आजके इन मानपत्रोंसे भारतीय समाजने मुझे दबा दिया है । इतना सब स्वीकार करने योग्य सेवा मुझसे नहीं हुई। जितना किया है वह कर्तव्य समझकर ही। कांग्रेसके मानपत्रके लिए मैं सारी कौमका आभार मानता हूँ और इतना ही कहता हूँ कि मैं सदा ही सेवामें अपना मन रखूँगा। मैं जल्दी ही हज कर आऊँ, ऐसी बहुत सज्जनोंने दुआ माँगी है। खुदा पाकको मंजूर होगा तो कुछ ही समय में वह फर्ज अदा करूँगा। मेमन समितिके मानपत्रके लिए मैं उस समितिका आभार मानता हूँ। उसमें मैंने कोई विशेष बात नहीं की। पुस्तकालयकी ओरसे दिये गये मानपत्रके योग्य मैं कतई नहीं। वह श्री मोतीलाल दीवानकी मेहनत से चल रहा है। हिन्दू भाइयोंके मानपत्र के लिए मैं हिन्दू भाइयोंका आभार मानते हुए कहता हूँ कि सीधे रास्ते जानेवाला