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उमर हाजी आमद झवेरीको बिदाई
और मुसलमानों के बीच जरा भी फर्क नहीं किया। आप अपने अत्यन्त दयालु स्वभाव, सत्यव्रत एवं सबके प्रति सहानुभूति के कारण लोकप्रिय बन गये हैं। इस बर्तावके कारण आज हम सब आपके अहसानमन्द हैं तथा हमारे सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश हुआ है। हम कामना करते हैं कि आपकी इच्छाएँ पूरी हों, आप सुखसे स्वदेश पहुँचें और वहाँसे सकुशल लौटकर अपना काम अपने हाथमें लें।

इसके बाद साहित्य समितिकी ओरसे श्री पॉलने श्री झवेरीको हार पहनाया और सनातन धर्म सभाकी ओरसे श्री अम्बाराम महाराजने दूसरा हार पहनाया और पुष्प वृष्टि की।

श्री गांधीका भाषण

फिर श्री गांधीने कहा :

श्री झवेरीको हमने मानपत्र दिये, यह ठीक है। किन्तु जिन गुणोंके कारण हमने उन्हें मानपत्र दिये हैं उनका हम अनुकरण करेंगे तभी श्री उमर झवेरी सच्चा सम्मान मानेंगे। उन्होंने मान पाने के लिए कुछ नहीं किया। वे मानके भूखे नहीं हैं, उन्होंने कर्तव्यवश कौमकी सेवा की है। उन्होंने प्रत्यक्ष व्यवहार द्वारा धन और सच्ची शिक्षा किसे कहते हैं, यह दिखाया है। उन्होंने अपने धनका कौमके लिए उपयोग करके उसका सच्चा उपयोग बताया है। वे अपनी शिक्षाका यही समझकर उपयोग करते हैं कि वह सारीकी सारी देशके लिए है। इसका नाम है सच्ची शिक्षा। वे मानते हैं कि हिन्दू-मुस्लिम एकता भारतके दुःख दूर करनेके लिए मुख्य चीज है। उसके लिए उन्होंने जितना जबरदस्त प्रयत्न किया है उतना करनेवाले भारतमें बिरले ही मिलेंगे। श्री झवेरी इन तीन गुणोंको कायम रखकर उनकी शोभा बढ़ाते हैं, उनके बीच समन्वय स्थापित करते हैं तथा सत्यका भी पालन करते हैं। इसीलिए हम उन्हें सच्चे कर्णधारके समान मानते हैं। हम उनके समान आचरण कर सकें तभी कहा जा सकता है कि हमने उन्हें मान दिया है। नये मन्त्री श्री दादा उस्मान श्री झवेरीके अभावकी पूर्ति कर सकेंगे। यह काम है तो मुश्किल, किन्तु श्री दादा उस्मान श्री झवेरीके साझी हैं और श्री झवेरीने बेधड़क उनका नाम कांग्रेसको दिया है, इसलिए माना जा सकता है कि श्री दादा उस्मान अपने पदकी प्रतिष्ठा बढ़ायेंगे। श्री आँगलिया और श्री दादा उस्मानपर और भी बहुत बोझ है। श्री उमरकी गद्दी सम्भालना मामूली आदमीका काम नहीं है। मैं आशा करता हूँ कि वे दोनों उमर झवेरीके गुणोंका पूरी तरह अनुकरण करेंगे।

श्री पारसी रुस्तमजी उसी दिन भारतसे लौटकर आये थे। उन्होंने भाषणमें श्री उमर झवेरीकी तुलना सर फीरोजशाह मेहतासे की।

श्री अब्दुल्ला हाजी आमद झवेरीने कहा कि श्री उमर उनके निकटके सम्बन्धी हैं। इसलिए उनसे इस समय यह कहे बिना नहीं रहा जा सकता कि श्री उमर झवेरीने कुटुम्बका नाम चमका दिया है। उन्होंने यह कामना व्यक्त की कि ट्रान्सवालके भारतीय कभी ट्रान्सवालका कानून स्वीकार न करें। उनके बाद डॉ॰ नानजीने भाषण दिया।

श्री पीरन मुहम्मदका भाषण

फिर श्री पीरन मुहम्मदने कहा :

मैं श्री उमर झवेरीका पड़ोसी था। उनकी जितनी तारीफ की जाये, कम है। मैं ट्रान्सवालके कानूनको बड़ा जुल्मी मानता हूँ और यदि वह कानून यहाँ लागू किया