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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तालियाँ बजाई? प्रसव की पीड़ा प्रसूता ही जान सकती है। लोकसभाके सदस्य तो हमारी दाईका काम करते हैं, इसमें शक नहीं। उन्होंने तालियाँ बजाईं, इससे सिद्ध होता है कि हमारी भावनाओंको चोट लग रही है। इससे उनके दिल तो नरम हो गये हैं, लेकिन श्री चचिलके उत्तरका अर्थ उन्होंने नहीं समझा, इसलिए तालियाँ बजी हैं। जान पड़ता है, एलगिन साहब बच्चोंको समझाना चाहते हैं। कानून पास हो जाने के बाद चाहे जैसे नरम बनाये जायें, उनसे गुलामीकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता। हमें बैलके समान गाड़ीमें जोतकर हाँकने वाला रास ढीली रखे, उससे हमारी बैलों-जैसी स्थिति मिट नहीं जाती। दस अँगुलियाँ लगवाने के बदले एक ही अँगूठा लगवाया जाये, एक अँगूठा भी छोड़कर सिर्फ सहीसे काम हो जाये तो उससे क्या? तब भी हम, जैसा मैं ऊपर कह चुका हूँ, उस कारणसे कानून स्वीकार नहीं कर सकते। गुलामीमें रहकर अच्छा खाने को मिले, ज्यादा ऐशो-आराम दिये जायें, उस नशेमें डूबकर हमें गुलामीको भूल नहीं जाना है। इसलिए हमें उन महाशयोंसे नम्रतापूर्वक विनती करनी है कि जब तक अनिवार्य पासका कानून लागू रहेगा तबतक चाहे जितनी रियायतें की जायें, वह मंजूर नहीं होगा।

डर्बनकी सहानुभूति

डर्बनके भारतीय नेताओंकी ओरसे ट्रान्सवालमें चारों ओर सहानुभूतिके पत्र आये हैं और हमारे नेटालके भाइयोंने सलाह दी है कि हम जेलके प्रस्तावपर डटे रहें। इस सहानुभूतिके लिए हम आभारी हैं। इसलिए संघके नाम आभारका तार भेजा जा चुका है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ११-५-१९०७
 

४६४. हेजाज रेलवे : कुछ जानने योग्य समाचार

'टाइम्स ऑफ इंडिया' के इस्तम्बूल-स्थित विशेष संवाददाताने हेजाज रेलवेके सम्बन्ध में जानने योग्य हकीकत दी है। उसका सारांश हम दे रहे हैं। लेखकने रेलवे प्रबन्धकोंकी बहुत कड़ी टीका की है और सभी हिस्से खरीदनेवालोंको यह सूचित किया है कि जबतक रेलवेके काममें पैठी हुई भयानक गन्दगी दूर नहीं होती तबतक कोई भी पैसे न भरे। लेखक श्री किदवई तथा श्री अब्दुल कादिरने उन विद्यार्थियोंके फोटो भी दिये हैं, जो पैसे लेकर इस्तम्बूल गये थे। हमने लिखकर इस सम्बन्धमें इन दोनों सज्जनोंके विचार पूछे हैं। उत्तर आनेपर प्रकाशित करेंगे। निम्न लेखमें क्या सच है, यह हमें नहीं मालूम, किन्तु 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने इसे बड़ी प्रसिद्धि दी है। इससे मालूम होता है कि इसमें कुछ-कुछ सचाई तो होनी ही चाहिए।

रेलवेका निर्माण

हेजाज रेलवेको जन्म देनेवाले हैं—कुख्यात इज्जत पाशा। इन्हीं इज्जत पाशाने आरमी नियाइयोंका कत्ल किया था। माननीय सुलतानके पास कुछ धूर्त लोग रहते हैं। ये उन्हीं में से एक हैं। श्री इज्जत पाशा दमिश्कसे आये हैं। इस्तम्बूलसे बाहर थोड़े ही लोगोंको ज्ञान है कि