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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
समान काम करनेवाले बनते हों तो वह कुशलता उन्हें अपनी शालाओंसे नहीं मिलती। इंग्लैंडकी शालाओंमें दूसरे चाहे जितने दोष हों, किन्तु वास्तविक मनुष्य वे ही पैदा करती हैं। वे मनुष्य ऐसे होते हैं कि यदि इंग्लैंडके दरवाजेपर शत्रु आ जाये तो वे उसे जवाब देने के लिए तैयार ही खड़े रहते हैं।

जिस देशमें शिक्षाका इतना अच्छा अर्थ किया जाता है वह देश क्यों खुशहाल है, यह क्षणभर में समझमें आ सकता है। ऐसी शिक्षा भारतके बालक भी लेंगे, तब भारतका सितारा चमकेगा। माता-पिता, शिक्षक और विद्यार्थी सबको इन शब्दोंपर बहुत ही ध्यान देना है। उन्हें अपने दिमागमें ही रखना पर्याप्त नहीं है, उनके अनुसार आचरण भी करके बतलाना है। मतलब यह कि माता-पिताको बालकोंको वैसी सुन्दर शिक्षा देनी चाहिए, शिक्षकोंको अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और विद्यार्थियोंको समझना चाहिए कि अक्षर ज्ञानको शिक्षा नहीं कहते।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १८-५-१९०७
 

४७६. जोहानिसबर्ग की चिट्ठी
जेलकी बलिहारी

आजकल ट्रान्सवालमें और, यदि मैं भूलता न होऊँ तो, सारे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय लोग जेल के प्रस्तावकी ही बात कर रहे हैं और निश्चित मान रहे हैं कि ट्रान्सवालके भारतीय तो जेल जायेंगे ही। कोई-कोई कहते हैं कि जेल महल है। कोई उसे सुन्दर बगीचा मानते हैं। कोई वैकुण्ठ मानते हैं। फिर, कोई मानते हैं कि जेल भारतीयोंकी बेड़ी खोलनेवाली कुंजी है। किसी-किसीका कहना है, जेल-द्वारमें जानेसे हम परतन्त्र से स्वतन्त्र हो जायेंगे। इस प्रकार तरह-तरह के विचार करके भारतीय जेल जानेके लिए उत्साहित हो रहे हैं। इस उत्साह मर जानेपर कुछ लोग तरह-तरहकी कल्पनाएँ करके मनमें सोचते हैं कि फलाँ आदमीका क्या होगा, और परेशान होते हैं। ऐसे कुछ पत्र मेरे पास आये हैं जिनके प्रश्नोंकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। और यदि अन्तमें हमें विजय मिलनी ही है तो जो रुकावटें आती रहती हैं उनकी भी व्यवस्था कर रखेंगे। ऐसे कुछ पत्र 'इंडियन ओपिनियन' के नाम आये हैं और कुछ संघके नाम हैं। उन सबका जवाब इस पत्रके द्वारा दे रहा हूँ, और अलग-अलग जवाब नहीं दिये जा सके, उसके लिए संघकी ओरसे माफी माँगता हूँ। पत्र-लेखकोंके नाम देना आवश्यक नहीं है, इसलिए नहीं दिये हैं।

दूकानदार क्या करें?

एक भारतीय लिखता है कि मेरी दुकानमें मैं और मेरा लड़का दो हैं। मुझपर कुछ कर्ज है। हम दोनोंको यदि पकड़ लिया गया तो हम क्या करेंगे? उस प्रश्नके कई उत्तर दिये जा सकते हैं। पहले मेरे मनमें जो उत्तर उठ रहा है वह देता हूँ।

उत्तर पहला : जेल एक बड़ा साहस है। उसका लाभ सिर्फ जेल जाने-वालेको ही नहीं होता, ट्रान्सवालके सारे भारतीयोंको होता है, और वास्तविक रूपमें देखा जाये तो सारे भारतीय