पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि आप स्वतन्त्र रूपसे पूछ-ताछ करें। हम, जितने सस्तेमें काम चले, चलाना चाहते हैं। बहरहाल आपको जब अवकाश मिले, कृपया घूम कर देखें। आखिरकार मुझे लगता है कि मैं कल दीक्षा-संस्कारमें उपस्थित नहीं रह सकूँगा। अगर बना तो अवश्य आऊँगा, किन्तु मुझे सर जॉर्ज बर्डवुडका पत्र मिला है जिसमें उन्होंने पूछा है कि क्या सर मंचरजी कल तीसरे पहर उनसे उनके घर जाकर मिल सकते हैं। बहुत मुमकिन है, सर मंचरजीसे निवृत्त होनेके बाद आ सकूँ। अगर बना तो आऊँगा। फिर भी आपको मेरे लिए रुकने की जरूरत नहीं है। अगर आ गया तो आपके यहाँ कुछ खाऊँगा; यदि आया ही तो ७ या ८ बजेके पहले आना सम्भव नहीं है। ८ के बाद मेरी बिलकुल अपेक्षा न कीजिए। यदि सर मंचरजी तारसे सवेरेका समय तय नहीं करते हैं तो निश्चय ही आपके यहाँ आ जाऊँगा। मैं कल कमसे-कम १०-३० तक होटलमें रहूँगा, क्योंकि रायटरके संवाददाताको[१] मैंने तबतकका समय दिया है।

आपका शुभचिन्तक,

श्री एल० डब्ल्यू० रिच
४१, स्प्रिंगफील्ड रोड,
सेंट जॉन्स वुड, एन०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४०५) से।

२४. पत्र: प्रोफेसर परमानन्दको

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर २६, १९०६

प्रिय प्रोफेसर परमानन्द,

जब रत्नम्[२] मेरा सामान लेकर यहाँ आये थे तब मेरी उनसे बात हुई थी। तभी से अवकाशके क्षणोंमें मैं उनके बारे में सोचता रहा हूँ। दक्षिण अफ्रिकाका हर व्यक्ति मेरी निगाह में एक निधि है और योग्य पोषणसे अधिक बड़ी निधि बनाये जाने योग्य है। मेरा खयाल है कि भौतिक दृष्टिकोणसे भी रत्नमका जीवन बहुत व्यर्थ जा रहा है। चूँकि उनका प्रारम्भिक शिक्षण बहुत कच्चा हुआ है, उन्हें अपने धन्धेमें संघर्ष करना कठिन गुजरेगा--विशेषतः दक्षिण आफ्रिकामें, जहां उन्हें बहुत से पूर्वग्रहोंका मुकाबिला करना पड़ेगा। शिक्षण पूरा कर लेनेके बाद उनकी जो योग्यता होगी मैं उससे कम योग्यताके किसी वकीलको दक्षिण आफ्रिकामें नहीं जानता।

उनकी अंग्रेजी कदाचित् काफी ठीक हो जाये; किन्तु यह पर्याप्त नहीं है। मेरी राय में गणितका अच्छा आधार आवश्यक है। दक्षिण आफ्रिकी वकीलमण्डलके अध्यक्षका विचार है कि वकालतमें सफलताके लिए फ्रेंच, लैटिन और डच (खासकर लैटिनका) ज्ञान लगभग

  1. जी० जे० ऐडम; देखिए "रायटरको भेंट", पृष्ठ ३३।
  2. रत्नम् पत्तर, जो वकालत पढ़ रहे थे ।