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पत्र: हाजो वजीर अलीको

अनिवार्य है। कुछ वैज्ञानिक प्रशिक्षण भी जरूरी । नहीं तो जब उनके प्रतिपक्षी या अदालत वैज्ञानिक शब्दोंका उपयोग करेगी, रत्नम् अपने आपको बहुत पीछे पायेंगे। यदि वे अपने कानूनके ज्ञानको अपने देशके कल्याण के लिए समर्पित करनेवाले हैं और उसे आर्थिक लाभके लिए काममें नहीं लाना चाहते तो भी उन्हें जीविकोपार्जनके लिए कोई विशिष्ट हुनर सीखना ही हैं। अभी उनकी अवस्था यह सब करने योग्य है। और सबसे बड़ी बात कि उन्हें अनुशासन--सख्त अनुशासन तकका पालन करना चाहिए। इसलिए मैंने उन्हें सुझाया है कि वे यहाँकी किसी शाला में जाना शुरू कर दें और बाकायदा मैट्रिक्युलेशनका पाठ्यक्रम पूरा करें, भले ही उत्तीर्ण होना उनके काबूकी बात न हो। शाला में प्राप्त इसी आधारसे उन्हें लाभ पहुँचेगा। मुझे लगा कि आप उनकी देख-रेख करते हैं इसलिए मैंने जो कुछ उनसे कहा है, वह आपसे भी कहूँ। उन्होंने मुझे बताया है कि वे आपसे सलाह करके मुझे सूचित करेंगे।

आपका शुभचिन्तक,

प्रोफेसर परमानन्द
६५, क्रॉमवेल ऐवेन्यू
हाइगेट

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिको फोटो-नकल (एस० एन० ४४०७) से ।

२५. पत्र : हाजी वजीर अलीको

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर २६, १९०६

प्रिय श्री अली,

मुझे अभी टेलीफोनसे मालूम हुआ कि आपने रात बड़े कष्ट में गुजारी। मुझे बहुत ही अफसोस है और मैं विस्मित हूँ कि इसका क्या सबब हो सकता है। मैं इतना अन्धविश्वासी हूँ कि सिगारको ही इसका कारण बताऊँगा। सव पूछिये तो जब हम लोग घूम रहे थे, मैंने जॉर्जसे[१]कहा था कि सुधार तो सन्निकट है, किन्तु सिगारके एक कशसे भी वह रुक जायेगा। निकोटिनके बारेमें मेरा विश्वास ऐसा ही जोरदार है। मैंने उसके कारण बहुत कष्ट होते देखा है। फिर भी हो सकता है, मैं गलतीपर होऊँ। अगर ऐसा हो तो मेहरबानी करके मुझे माफ फरमायें। आपको खुश और खुर्रम देखना ही मेरा मंशा है। पिछली रात आपको उतने उल्लाससे बातें करते हुए देखकर मुझे आनन्द हुआ था, इसलिए नर्ससे यह जानकर कि आपकी रात कष्टमें गुजरी, मुझे बहुत दुःख हुआ।

जॉर्ज जैसे ही आयेगा, उसे भेजूँगा। मैंने नर्सको आपके लिए एक सन्देशा दिया है जिसका जवाब शायद बादमें मिलेगा; किन्तु उसे लिखे भी देता हूँ। उसका जिक वहाँ भी कर सकता था, लेकिन ध्यान नहीं रहा।

  1. जॉर्ज गॉडफ्रे।