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३७. पत्र: एफ० एच० ब्राउनको

[होटल सेसिल
लन्दन]
अक्तूबर ३०, १९०६

प्रिय महोदय,

आपका २९ तारीखका पत्र मिला । दुःख है कि वह उस समयके बाद मिला जब मैं आपसे टेलीफोनपर बातचीत कर सकता था; और वैसे तो मैं आज १० और १०-४५ के बीच बाहर लोगोंसे मिलने चला गया था। यदि आप किसी तरह कल या गुरुवारको १ और २ के बीचमें मुझसे आकर मिल सकें, तो हम लोग शायद साथ भोजन कर सकेंगे और दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयों के प्रश्नपर बातचीत भी कर सकेंगे। यदि यह न हो सके तो फिर मुझे गुरुवारको एन० आई० ए०[१] के स्वागत समारोहके समय तक, जिसके लिए आपने मुझे कृपापूर्वक निमन्त्रण-पत्र भेजा है, आपसे मिलनेका लोभ संवरण करना पड़ेगा। फिर भी यदि आप कल या परसों सुविधापूर्वक मेरे साथ भोजन कर सकें, तो कृपया एक पंक्ति लिखकर सूचित कीजिएगा।

मुझे दुःख है कि मेरे सहयोगी श्री अली गठियासे पीड़ित हैं और ब्रॉमलेके लेडी मार्गरेट अस्पतालमें पड़े इलाज करा रहे हैं।

खेद है कि इस प्रश्नपर प्रकाश डालनेवाली कोई तस्वीरें मेरे पास नहीं हैं; न पासमें अपनी ही कोई तस्वीर है। मेरा खयाल है, श्री अलीकी एक तस्वीर मैं आपको दे सकूँगा। उसमें वे अपने कुटुम्बके साथ हैं।

मुझे ऐसा लगता है कि हम लोग पहले मिले हैं; और मेरा खयाल है कि यह उस समयकी बात है जब आप लन्दन आनेवाले तरुण भारतीयोंको सलाह दिया करते थे। मुझे ध्यान आता है कि श्री दलपतराम भवानजी शुक्लने आपसे मेरा परिचय कराया था।

आपका सच्चा,

श्री एफ० एच० ब्राउन
"दिलकुश"
वेस्टबोर्न रोड,
फॉरेस्ट हिल, एस० ई०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४१७ ) से।

  1. 'नेशनल इंडियन असोसिएशन'--राष्ट्रीय भारतीय संघ।