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४२. पत्र: हाजी वजीर अलीको

[होटल सेसिल
लन्दन]
अक्तूबर ३०, १९०६

प्रिय श्री अली,

आपका पुर्जा तथा टेलीफोनसे भेजा संदेश मिला; लेकिन मैं अभी, अर्थात् १२ बजे रातको, काम करने बैठा ही हूँ। मैं सुबह साढ़े दस बजेसे सारे दिन बाहर ही रहा। दोपहरको भोजनके समय कुछ क्षणोंके लिए आया था और फिर साढ़े आठ बजे रातको, जब कि मुझे आपका पत्र और सन्देशा मिला। तुर्की राजदूतका पता मैं ढूँढ़ निकालूँगा। अगर नामुमकिन नहीं हुआ, तो मैं कल देरसे जानेवाली किसी गाड़ीसे रवाना होऊँगा।

लॉर्ड एलगिनने बृहस्पतिवार ८ नवम्बरको ३ बजे शिष्टमण्डलसे मिलनेका समय दिया है; इस तरह, आप देखेंगे, अभी काफी समय है। लेकिन इस पूरी अवधिका हर क्षण मेरे किसी-न-किसी कामके लिए निश्चित है। विशेष मिलनेपर।

आपका शुभचिन्तक,

श्री हाजी वजीर अली
लेडी मार्गरेट अस्पताल
ब्रॉमले
केंट

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४४२१) से।

४३. पत्र: जे० एच० पोलकको

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर ३०, १९०६

प्रिय श्री पोलक,

मैंने कहा था कि इतवारका पूरा दिन मैं आपके साथ गुजारूँगा, किन्तु देखता हूँ कि मुझे शामको महत्त्वपूर्ण काम करना है। मैंने जिन पण्डितके[१] आपसे कहा था उनके साथ मेरी पूरी चर्चा अभी नहीं हुई है; और चूँकि वह कुछ महत्त्वकी है, मुझे लगता है कि मुझे आपके साथ पूरा इतवार गुजारनेके उस आनन्दसे वंचित रहना पड़ेगा, जिसकी मैं

  1. श्यामजी कृष्णवर्मा।