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४१. पत्र: लॉर्ड रे को

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर ३०, १९०६

लॉर्ड महोदय,

कल आपके प्रति समादर व्यक्त करने और आपके सम्मुख ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी परिस्थिति रखनेके विचारसे मैं आपसे, बिना निश्चित समय लिये, मिलने पहुँचा था। अभी हाल में ट्रान्सवाल विधान परिषदने जो एशियाई अधिनियम संशोधन अध्यादेश पास किया है उसके सम्बन्धमें लॉर्ड एलगिन और श्री मॉर्लेसे मिलनेके लिए ट्रान्सवालसे हाजी वजीर अली और मैं शिष्टमण्डलके रूपमें यहाँ आये हैं। सर चॉर्ल्स डिल्क[१] , श्री नौरोजी, सर मंचरजी, सर जॉर्ज बर्डवुड, सर हेनरी कॉटन, श्री अमीर अली और कुछ अन्य सज्जन, जो ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय मामलोंमें दिलचस्पी लेते रहे हैं, लॉर्ड एलगिनके समक्ष कृपापूर्वक इस शिष्टमण्डलका परिचय देनेके लिए राजी हो गये हैं; और इस तरह उन्होंने अपने प्रभावका लाभ देनेकी कृपा की है। कदाचित् लॉर्ड एलगिन अगले हफ्तेमें भेंटके लिए कोई तिथि निश्चित करेंगे। मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या आप परिचय करानेवाले शिष्टमण्डलमें सम्मिलित होनेकी कृपा करेंगे। किसी भी हालतमें, यदि महानुभाव हमें ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी स्थिति सामने रखनेका अवसर प्रदान करें, तो श्री अली और मैं बहुत ही आभारी होंगे।

आपका विनम्र सेवक,

परममाननीय लॉर्ड रे
[२]

६, ग्रेट स्टैनहोप स्ट्रीट

लन्दन

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४२३) से।

  1. सर चार्ल्स वैन्टवर्थ डिल्क (१८४३-१९११) राजनीतिज्ञ, लेखक और संसद-सदस्य जो १८७६ में विदेश मंत्रालयके उपमंत्री थे ।
  2. डोनल्ड जेम्स मैके (१८३९-१९२१); बम्बई प्रदेशके गवर्नर, १८८५-९०; ब्रिटिश अकादमीके प्रथम अध्यक्ष; सहायक भारत-मंत्री १८९४-५।