पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि यह प्रार्थनापत्र आपको लॉर्ड सेल्बोर्नकी मारफत उसी हफ्ते भेज दिया गया था जिस हफ्ते इसकी एक प्रति मेरे पास भेजी गई थी। ब्रिटिश भारतीय संघने गवर्नरकी मारफत एक तार[१] भी भेजा था जिसमें यह प्रार्थना की गई थी कि जबतक आपको प्रार्थनापत्र नहीं मिल जाता तबतक अध्यादेशकी स्वीकृति रोक रखी जाये।

मेरा खयाल है कि संघका मामला बहुत मजबूत और उचित है। यह बिलकुल स्पष्ट है कि यदि यह अध्यादेश मंजूर कर लिया गया तो ब्रिटिश भारतीय जमीन-जायदादके वैसे पट्टे भी नहीं रख सकेंगे जैसे अबतक वे १८८५ के कानून ३ के अन्तर्गत रख सकते थे। तो इस प्रकार जब उपनिवेशको उत्तरदायी शासन मिलने जा रहा है, ऐसा जान पड़ता है कि प्रस्तुत अध्यादेश कमसे-कम पूर्वस्थिति बनाये रखने के बजाय, भूस्वामित्वकी दृष्टिसे ब्रिटिश भारतीयोंकी स्थिति वैसी ही बदतर बना देगा, जैसी कि युद्ध-पूर्वकालके मुकाबले अन्य बातोंमें हो गई है। इसलिए आशा करता हूँ कि आप महामहिम सम्राट्को यह अध्यादेश अस्वीकृत करनेको सलाह देने की कृपा करेंगे।

ट्रान्सवालसे ब्रिटिश भारतीय शिष्टमण्डलके आगमन और उसके उद्देश्यको देखते अध्यादेशके स्वीकृत होनेकी वस्तुस्थितिका भी, जो कि इस प्रार्थनापत्रका विषय है, खयाल करते हुए मुझे लगता है कि ट्रान्सवालके भारतीयोंकी रक्षा के लिए एक जाँच आयोगकी नियुक्ति करना बहुत जरूरी है। यह आयोग वैसा ही होना चाहिए जैसा कि सर मंचरजीने आपके पूर्वगामी उपनिवेश मन्त्रीको सुझाया था और जिसकी, मुझे मालूम हुआ है, नियुक्ति होते-होते रह गई थी।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

टाइप किये हुए अंग्रेजी मसविदेकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४२७/२) से।

४८. परिपत्र[२]

होटल सेसिल
लन्दन, डब्ल्यू० सी०
अक्तूबर ३१, १९०६

प्रिय महोदय,

सेवामें निवेदन है कि लॉर्ड एलगिनने गुरुवार ८ नवम्बरको ३ बजे उपनिवेश कार्यालयमें ट्रान्सवालके भारतीय शिष्टमण्डलको मिलनेका समय दिया है। श्री अली और मैं ऐसी आशा करते हैं कि गुरुवार, ८ नवम्बरको आप उपनिवेश कार्यालयमें २-३० बजे आनेकी कृपा करेंगे, जिससे परिचय करानेवाले शिष्टमण्डलके सदस्योंके बीच थोड़ा-सा विचार-विमर्श सम्भव हो

  1. देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ४७६ ।
  2. दफ्तरी प्रतिपर कुछ टिप्पणियाँ है जिससे पता चलता है कि यह परिपत्र सर चार्ल्स डिल्फ, दादाभाई नौरोजी, सर लेपेल ग्रिफिन, सर मंचरजी भावनगरी, सर हेनरी कॉटन, श्री अमीर अली और सर जॉर्ज बर्डबुडको भी भेजा गया था।