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५९. पत्र: हाजी वजीर अलीको

होटल सेसिल
लन्दन
अक्तूबर ३१, १९०६

प्रिय श्री अली,

मुझे अत्यन्त खेद है कि मैं आज शामको नहीं आ सका, परन्तु कल आनेकी कोशिश करूँगा। जब हम लोग मिलेंगे तब आपको बताऊँगा कि मैं अपना समय कैसे व्यतीत करता रहा हूँ। इस बीच, इतना ही कह सकता हूँ कि जोहानिसबर्गकी अपेक्षा यहाँ मुझपर कामका भार अधिक पड़ा है। पिछली रात तो मैं ३-३० बजे सुबह सोया था।

चीनी शिष्टमण्डलका काम आगे बढ़ाया जा रहा है। मैं उसके सम्पर्क में हूँ। चीनी मन्त्री द्वारा भेजा जानेके लिए मैंने एक निवेदनपत्र[१] भेज दिया है।

आपके रोज यहाँ आने और तीसरे पहर लौट जानेके बारेमें मिलनेपर विचार करेंगे। आज रात मुझे लोकसभामें सर रिचर्ड सॉलोमनसे[२] मिलनेका इत्तिफाक हुआ और उनसे संक्षेपमें बातें हुई। सारे मामलेपर उनका रुख बहुत अच्छा था। वे आपके बारे में पूछते थे।

न्यायमूर्ति अमीर अलीसे मैं स्वयं अबतक नहीं मिल सका हूँ । परन्तु उनके साथ पत्र-व्यवहार करता रहा हूँ। श्री अमीर अलीने मुझे लिखा है कि वे शिष्टमण्डलकी भेंटके दिन हमसे मिलेंगे। सर मंचरजीका दृढ़ मत है कि एक स्थायी समिति[३] होनी चाहिए। इसलिए, इस विचारसे कि हमारे यहाँ रहते-रहते इसकी स्थापना हो जाये, मैंने इसकी स्वीकृतिके लिए तार[४] भेजा है।

मैंने फोनसे आपके पास सन्देश भेजा है कि मैं सम्भवतः कल ब्रॉमले आऊँगा। मुझे ६ या ७ बजे शामके बीच डॉ० ओल्डफील्डसे मिलता है और सम्भवतः उनके साथ ही आऊँ।

आपका शुभचिन्तक,

श्री हाजी वजीर अली
लेडी मार्गरेट अस्पताल
ब्रॉमले
केंट

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४४०) से।

  1. देखिए "पत्र: युक लिन ल्यूको", पृष्ठ ६०।
  2. सर रिचर्ड इस समय इंग्लैंडमें थे। देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ४८०-८१।
  3. देखिए "पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको", पृष्ठ १९-२२ ।
  4. यह तार उपलब्ध नहीं है ।