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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


बात ठीक है। किन्तु श्री लॉयनेल कर्टिसने, जो उस समय ट्रान्सवालमें शहरी मामलोंके सहायक उपनिवेश-सचिव थे, तीन महीने पहले एक ब्रिटिश भारतीय शिष्टमण्डलसे कहा था कि सरकार शिनाख्तका एक ऐसा तरीका कायम करना चाहती है, जिसके मुताबिक सभी भारतीयोंको अपने पासोंपर अपनी दसों उँगलियोंके निशान लगाने पड़ेंगे। यह ऐसी व्यवस्था थी जिसपर शिष्टमण्डलने स्वभावतः कड़ी आपत्ति की थी।

किन्तु अध्यादेशमें ऐसा कोई विधान नहीं है?

नहीं; लेकिन अध्यादेशमें यह विधान है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर उसके अन्तर्गत समय-समयपर ऐसे विनियम बना सकता है जिनके द्वारा दूसरी बातोंके साथ-साथ यह निर्धारित किया जायेगा कि भारतीय अपनी शिनाख्तका सबूत किस प्रकार दें। अध्यादेशके अनुसार पुलिस अधिकारी १६ वर्षसे अधिक उम्रके सभी एशियाइयोंसे न केवल अपने पास पेश करनेको कह सकते हैं, बल्कि विनियमों द्वारा निर्धारित शिनाख्तके सबूत देनेके लिए जोर भी दे सकते हैं। और श्री कर्टिसकी घोषणाके अनुसार इस सबूतका अर्थ है उँगलियोंके निशान। जहाँतक मैं जानता हूँ, ऐसा तरीका कमसे-कम भारतीयोंपर संसारके किसी भागमें लागू नहीं है। यह नेटालमें गिरमिटिया भारतीयोंपर भी लागू नहीं होता।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-१२-१९०६

६२. पत्र: सर चार्ल्स श्वानको

होटल सेसिल
लन्दन
नवम्बर १, १९०६

प्रिय महोदय,

ट्रान्सवालकी विधान परिषद द्वारा जो एशियाई अध्यादेश हाल में स्वीकृत किया गया है, उसके सम्बन्धमें लॉर्ड एलगिन और उनके बाद श्री मॉर्लेसे मिलने के लिए ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके शिष्टमण्डलके रूपमें श्री अली और मैं दक्षिण आफ्रिकासे आये हुए हैं। जिन सज्जनोंकी दक्षिण आफ्रिकी ब्रिटिश भारतीयोंके साथ सहानुभूति है और जिन्होंने इस प्रश्नका थोड़ा भी अध्ययन किया है, उन्हें श्री अली और मैं इस बातके लिए प्रेरित कर रहे हैं वे हमारा नेतृत्व करें। संलग्न सूची[१] के सज्जनोंने शिष्टमण्डलमें शामिल होना स्वीकार कर लिया है। सर लेपेल ग्रिफिनसे उसका नेतृत्व करनेकी प्रार्थना की गई है, जो उन्होंने स्वीकार कर ली है। चूँकि दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंके प्रश्नपर आप सदनमें प्राय: बोले हैं, इसलिए यदि आप इस शिष्टमण्डल में उपस्थित होकर इसे अपने प्रभावका भी लाभ प्रदान कर

  1. बहुत सम्भावना है कि यह तथा नवम्बर २, १९०६ को जी० जे० ऐडमके नाम लिखे पत्र में उल्लिखित सूची (देखिए पृष्ठ ७२) वही है जो बादमें लॉर्ड एलगिनको भेजी गई। देखिए "पत्र: लॉर्ड एलगिनके निजी सचिवको", पृ४ १०१ ।