पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/२६७

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१८८. तार: गो॰ कृ॰ गोखलेको

[जोहानिसबर्ग,
सितम्बर २१, १९०७ के पूर्व]

[सेवामें

गो॰ कृ॰ गोखले[१]

कलकत्ता]

तारके[२] लिए ब्रिटिश भारतीय संघका धन्यवाद। बहुत प्रोत्साहन मिला। प्रतिष्ठा, धर्म और गम्भीरतापूर्वक ली गई शपथको रखने के लिए अन्ततक लड़ेंगे। जितनी सहानुभूति मिल सके सब चाहिए। सब दलोंकी सर्वसम्मत स्वीकृति और सहायता मांगते हैं। संघर्ष अबाध प्रवेशका नहीं; बल्कि जो यहाँ रहने और आनेके अधिकारी हैं उनके आत्मसम्मानका है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २१-९-१९०७

१८९. भीमकाय प्रार्थनापत्र[३]

[जोहानिसबर्ग,
सितम्बर २१, १९०७ के पूर्व]

सेवामें

माननीय उपनिवेश सचिव
प्रिटोरिया

महोदय,

हम नीचे हस्ताक्षर-कर्ता ट्रान्सवालवासी भारतीय उस पत्रसे अपना पूर्ण मतभेद प्रकट करते हैं जो आपको प्रिटोरिया, पीटर्सबर्ग, स्टैंडर्टन और मिडलबर्गके कुछ प्रमुख भारतीयोंकी ओरसे स्टैगमैन एसेलेन और रूज़की पेढ़ीने ३० अगस्त १९०७ को एशियाई कानून संशोधक विधेयक संख्या २ सन् १९०७ के सम्बन्धमें भेजा है।

  1. महान भारतीय राजनीतिज्ञ माननीय गोपाल कृष्ण गोखले (१८६६-१९१५)| देखिए खण्ड २, पृष्ठ ४१७-१८।
  2. देखिए "भारतसे कुमुक", पृष्ठ २४३-४४।
  3. हस्ताक्षरोंके लिए यह प्रार्थनापत्र हिन्दी, गुजराती, तमिल तथा अंग्रेजीमें प्रसारित किया गया था, ऐसा प्रतीत होता है। यह वस्तुतः १ नवम्बरको ४,५५२ भारतीयोंके हस्ताक्षर करवानेके बाद दिया गया था, देखिए, "पत्र: उपनिवेश सचिवको", पृष्ठ ३२०-२१।