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२३९. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी
हमीदिया अंजुमनकी सभा

इस अंजुमनका जोर बढ़ता जा रहा है। लोगोंका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है, और हिन्दू-मुसलमान सभीकी एक स्वरसे मांग है कि कानूनको मिटाया जाये। रविवारको इमाम अब्दुल कादिर सभापति थे। मौलवी साहब और दरवेश साहबने बहुत विस्तारसे भाषण दिये। श्री कुवाड़िया, श्री उमरजी साले वगैरह भी बोले। श्री एच॰ ए॰ कुवाड़िया तथा दूसरे सज्जनोंने विषय छेड़ा कि श्री एस॰ हेलूने हाथ-मुँह काले करके पंजीयनके लिए अर्जी दी, इसलिए उनका बहिष्कार किया जाये। इसे सारी सभाने स्वीकार किया। इसपर अंजुमनने सलाह दी है कि श्री हेलूसे सारा व्यवहार बन्द किया जाये, उनके नौकर नोटिस देकर नौकरी छोड़ दें और दूसरे भारतीय उनसे किसी प्रकारका लेन-देन न करें। इसके बाद क्लार्क्स डॉर्प अंजुमनके एक सदस्य श्री दावजी पटेलने, जो देश जा रहे थे, अपना सारा बकाया चन्दा चुकाया और उनके देशमें रहने की अवधि में भी उनकी सदस्यता कायम रहे, इसलिए १० शिलिंग और जमा कर दिये। इसके बाद अंजुमनकी ओरसे उन्हें चाँदीका एक पदक भेंट किया गया। कुछ लोगोंने उनकी तारीफमें भाषण दिये। श्री दावजी पटेल स्वदेशके लिए रवाना हो चुके हैं।

दूसरे दिन सोमवारको श्री हेलू श्री गांधीके दफ्तरमें पंजीयन अर्जीके सम्बन्ध में स्वयं खेद प्रकट करने के लिए आये। धरनेदारोंको तुरन्त इसकी खबर मिल गई और उन्होंने श्री गांधीके नाम निम्नलिखित सूचना भेजी : "यदि श्री हेलू भविष्य में आपके दफ्तरमें आये तो, निश्चित समझिए, आपका भी बहिष्कार किया जायेगा।"

इसके उत्तरमें श्री गांधीने अपना कर्तव्य बजानेके लिए धरनेदारोंका उपकार माना है और उन्हें शाबासी दी है। मैं चाहता हूँ कि ऐसा उत्साह सभी भारतीय सदा रखें। श्री हेलू यदि नियमानुसार माफी मांगें और पश्चात्ताप करें तो माफ करना चाहिए या नहीं, इसका इस उत्साहसे कोई सम्बन्ध नहीं है। की हुई प्रतिज्ञाका पालन करना और आये हुए कर्तव्यका निर्वाह करना समझने और अमल करनेकी बात है। जबतक श्री हेलूको माफ नहीं किया गया, तबतक उपर्युक्त कार्य करना धरनेदारोंका कर्तव्य था।

रामसुन्दर पण्डितका मुकदमा

श्री रामसुन्दर पण्डितके पास उनकी हिम्मतके लिए हर जगहसे बधाईके तार आ रहे हैं। उनमें हिम्मत है और जर्मिस्टनके सारे भारतीय उन्हें हिम्मत दिला रहे हैं। उन्हें अभीतक पकड़ा नहीं गया है। और जैसे श्री अब्दुल कादिर कोकाटीको नहीं पकड़ा जा सका वैसे ही यदि श्री पण्डितको भी न पकड़ा जा सके तो कोई आश्चर्य नहीं। इस सम्बन्ध में शुक्रवार तक जो भी होगा उसका तार भेजूंगा।

पीटर्सका मुकदमा

श्री ऐंथनी पीटर्सपर जो अत्याचार हुआ उसकी चर्चा अब भी चल रही है। जिस सिपाहीने उनपर अत्याचार किया वह अब बदल गया है और कहता है, उसने उनके