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२७४. पत्र: गो॰ कृ॰ गोखलेको

जोहानिसबर्ग
नवम्बर १४, १९०७

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

इस पत्रका उद्देश्य श्री अमीरुद्दीन मुहम्मद हुसैन फजन्दारका[१] आपसे परिचय कराना है। ये, चार अन्य भारतीयोंके साथ, आगामी राष्ट्रीय कांग्रेसमें ट्रान्सवालके भारतीयोंका प्रतिनिधित्व करनेके लिए नियुक्त हुए हैं। श्री फजन्दार ट्रान्सवालके सुप्रसिद्ध व्यापारी हैं और यहाँ लम्बे अरसेसे रह रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आप इन्हें कांग्रेसके सामने हमारा मामला रखनेके लिय प्रत्येक सुविधा प्राप्त करानेकी कृपा करेंगे और अपनी सलाह तथा मार्गदर्शनका लाभ उठाने देंगे।

आपका सच्चा,
मो॰ क॰ गांधी

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (जी॰ एन॰ ४१०८) से।

२७५. धरनेदारोंके विरुद्ध मुकदमा

[प्रिटोरिया
नवम्बर १५, १९०७]

गौरीशंकर व्यास, शरफुद्दीन, गोविन्द प्राग और फ्रेंक लछमनपर इसी १५ तारीखको यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने मारपीट करने या जुर्मके लिए भड़कानेका अपराध किया, क्योंकि १३ नवम्बर १९०७ को (या उसके आसपास) उसी जिलेके प्रिटोरिया नगरमें (या उसके आसपास) प्रत्येक और सब अभियुक्तोंने या उनमेंसे किसी-न-किसी ने अन्यायपूर्ण और अवैध रूपसे लछमन नामके एक भारतीयको, जो वहीं रहता है, पीटा; उन्होंने उसको वहीं घेर लिया और उसको अपनी (या किसी अन्यकी) इच्छाके अनुसार भारतीय पंजीयन कार्यालयमें जानसे रोका। उसी वक्त और उसी जगह प्रत्येक और सभी कथित अभियुक्तोंने या उनमेंसे किसी-न-किसीने अन्यायपूर्वक और गैरकानूनी रूपसे उसको पंजीयनका प्रार्थनापत्र, जिसे पेश करना सन् १९०७ के अधिनियम २ के[२] खण्ड १, २ और ८ के अन्तर्गत आवश्यक है, न देनके लिए यह धमकी देकर भड़काया कि यदि उसने पंजीयन कराया तो उसको पीटा जायेगा तथा उसका मुँह काला कर दिया जायेगा। अभियुक्तोंने अपनेको निर्दोष बताया और और श्री गांधीने उनका बचाव किया। सरकारकी ओरसे श्री ग्राहमने पैरवी की। अदालत भारतीयोंसे खचाखच भरी थी और कई तो प्रवेश पा भी नहीं सके।

  1. मूलमें 'वजिन्दार' शब्द आया है।
  2. मूलमें "अधिनियम २०/१९०७" है।