पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/३९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय


वादीने कहा कि अभियुक्तोंने उससे पंजीयन कार्यालयके बाहर बातकी थी और उसको सलाह दी थी कि हमारे लोग अनुमतिपत्र नहीं ले रहे हैं इसलिए तुम भी उन लोगोंसे सलाह कर लो जो तुमसे अधिक बुद्धिमान हैं। अभियुक्तोंने मुझसे मारपीट कभी नहीं की।

श्री ग्राहमने कहा कि गवाह [लछमन] को विरोधी गवाह माना जाये; किन्तु श्री गांधीने आपत्ति की। वह आपत्ति लिख ली गई और गवाहने कहा कि उसको रिपोर्ट लिखनेके दफ्तरमें ले जाया गया और श्री कोडीने उससे पूछा कि क्या अभियुक्तोंने उसके साथ मारपीट की है। उसने कहा, "नहीं"। श्री कोडीने कहा कि उन्होंने अभियुक्तोंको गिरफ्तार कर लिया है और गवाहने जब यह पूछा कि उनको क्यों गिरफ्तार किया गया है, तो उसको बताया गया कि यह उसकी इच्छा थी। गवाहने कहा कि ऐसी बात नहीं है। उसने कहा:"ये मेरे देशवासी हैं और गिरफ्तार नहीं किये जाने चाहिए। मैं पासके लिए आया था और जब मुझे पास मिल जायेगा, तब मैं चला जाऊँगा। उन्होंने मेरे साथ मारपीट नहीं की है।"

श्री गांधी: यह प्रिटोरिया पास लेने आया, क्योंकि इससे एक गोरेने कहा था कि यदि यह पास न लेगा तो इसको निकाल दिया जायेगा। उस गोरेने इसके कागजात ले लिये थे और श्री कोडीको भेज दिये थे। यह विटबैंकका धोबी है। यह अपने मनमें सरकारसे भयभीत है और इसीलिए यहाँ आया था। इसको पंजीयन कार्यालयमें दो गोरे ले गये थे, जो इसे स्टेशनपर मिले थे।

श्री गांधीके जिरह करनेपर एक गवाहने[१] कहा कि उसको सुपरटेंडेंट बेट्सने लछमनसे स्टेशनपर मिलने और उसको पंजीयन कार्यालयमें लाने एवं यदि उसको (लछमनको) तंग किया जाये तो उसकी खबर देनेकी हिदायत की थी। वह हिन्दुस्तानी अच्छी तरह जानता है। उसने कोई मारपीट होते नहीं देखा।

श्री ग्राहमने अपनी ओरसे मामला खत्म कर दिया और श्री गांधीने अभियुक्तोंको तुरन्त बरी करनेकी माँग की। श्री ग्राहमने कहा था कि वे मारपीटके आरोपकी पुष्टि नहीं कर सकते और उनको भड़कानेके आरोपपर निर्भर रहना होगा। श्री गांधीने कहा कि मेरे सामने अब कोई मामला सफाईके लिए नहीं है।

श्री मेलर[२] (मुसकराते हुए): श्री ग्राहम, क्या आप इस आरोपको पुष्ट करेंगे?

श्री ग्राहम: वस्तुतः मैं इस आरोपपर जोर नहीं देता। मेरे खयालमें मामला काफी मजबूत नहीं है।

श्री मेलर: उनसे कह दें कि वे बरी कर दिये गये।[३]

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २३-११-१९०७
  1. आल्फ्रेड पेंडर्सन, केन्द्रीय जेलका सन्तरी। उसने गवाहीमें कहा था कि वह जेलके गवर्नरके निर्देशसे रेलवे स्टेशनपर गया था और वादीसे मिला था। वादीने उसे बताया कि वह पंजीयन करानेके लिए आया है, किन्तु अभियुक्तोंने उसको पीटनेकी धमकी दी है।
  2. सहायक आवासी मजिस्ट्रेट।
  3. इसके पश्चात् धरनेदारोंको मालाएँ पहनाई गई और वे जुलूसमें श्री व्यासके घर ले जाये गये, जहाँ श्री ए॰ एम॰ काछलिया, मुख्य धरनेदार श्री एम॰ एल॰ देसाई, गांधीजी और अन्य लोगोंने धरनेदारोंके वीरतापूर्ण रुखकी प्रशंसा करते हुए भाषण दिये।