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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

१०. कोई भी एशियाई, बिना अनुमतिपत्र दिखाये, शुल्क अदा करके अपना व्यापारिक परवाना प्राप्त कर सकता है। १०. किसी भी एशियाईको उस समय तक यह व्यापारिक परवाना नहीं मिल सकता जबतक वह अपना पंजीयन प्रमाणपत्र और, विनियम द्वारा निर्धारित, अपनी शिनाख्तके विवरण पेश न कर दे। इसलिए यदि किसी एशियाई व्यापारिक पेढ़ीमें एकसे ज्यादा साझेदार हैं, तो परवाना अधिकारी परवाना देनेके पहले सभी साझेदारोंको बुलाकर उन्हें किसी भी अपमानजनक जाँचके लिए मजबूर कर सकता है।
११. कोई भी एशियाई किसी दूसरे एशियाईको नौकरी देनेके लिए स्वतन्त्र है। ११. कोई भी एशियाई, जो १६ वर्षसे कम आयुवाले किसी एशियाईको (अपने पुत्रको भी) उपनिवेशमें उसके लिए अनुमतिपत्र प्राप्त किये बिना लाता है या ऐसे किसी बच्चेको अपने कामपर लगाता है, भारी जुर्माने अथवा जेलकी सजाका भागी होगा, और ट्रान्सवालमें रहनेका उसका भी अधिकार खत्म कर दिया जा सकता है।
१२. पंजीयकको अभी काफी बड़े अधिकार प्राप्त हैं। १२. पंजीयक वास्तव में एशियाइयोंका स्वामी बन जाता है और उनकी व्यक्तिगत आजादीपर उसका लगभग असीम अधिकार हो जाता है।
१३. अपने पास दूसरोंके प्रमाणपत्र रखनेवाले एशियाई अपराधी नहीं माने जाते। १३. जिन एशियाइयोंके पास ऐसे प्रमाणपत्र हैं (स्पष्टतः पुत्रका प्रमाणपत्र रखनेवाला पिता भी) उन्हें वे डाक द्वारा [अधिकारीके पास] भेजनेको बाध्य हैं। इसमें चूकनेपर ५० पौंड जुर्माने, और जुर्माना न अदा करनेपर, जेलकी सजा हो सकती है।

ध्यान देने योग्य अतिरिक्त बातें

१. नया कानून काफिरों, केपके अधगोरों (केप बॉएज़) और तुर्की साम्राज्यके ईसाई प्रजाजनोंपर लागू नहीं होता, किन्तु उसी साम्राज्यके मुस्लिम प्रजाजनोंपर लागू होता है। इस तरह यह भारतीयों और उनके धर्मका निर्मम अपमान करता है। और यद्यपि वे सभ्य देशोंके निवासी हैं, तथापि यह उन्हें गुलामीकी स्थिति में पहुँचा देता है। यह उन्हें काफिरों, केपके अधगोरों और मलायी लोगोंसे भी निम्नतर स्थितिमें डाल देता है।

२. यह धोखाधड़ीको प्रोत्साहन देता है। सम्भव है, कानूनके बनानेवालोंको यह सूझा हो कि किसी एशियाईको मलायी या केपके अधगोरोंका रूप धारण करने से रोकनेके लिए इसमें कोई बात नहीं है।