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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/४७५

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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

समझौता कहाँ गया?

जनवरीका विचार बताया इसलिए साधारण सवाल यह उठता है कि समझौता कहाँ गया? उसके खुलासेके लिए कहता हूँ कि मैंने तो पानी आनेके पहले बाँध बाँधा है। समझौतेकी बात तो चल ही रही है। किन्तु मैं देखता हूँ कि सरकारके हाथमें जनवरीमें जो हथियार आनेवाला है उसकी आजमाइश हुए बिना समझौता नहीं होगा। इस बीच भारतीयोंका जोर बहुत बढ़ गया है, यह तो किसीको भी दिखाई दे सकता है। गोरोंके सारे अखबार सरकारको बहुत फटकारते हैं और भारतीयोंकी जय बोलते हैं। तीन महीने पहले यदि कोई ऐसी बात कहता तो उसका मजाक उड़ाया जाता था। किन्तु जैसे गोरोंके अखबार हमारे पक्षमें बोलने लगे हैं, उसी प्रकार यदि जनवरीमें बहुतसे भारतीय जेल चले जायेंगे तो गोरे स्वयं भी तौबा करेंगे, और सरकारसे भारतीयोंके छुटकारेकी मांग करेंगे। समझौता तो केवल नाम है। समझौतेकी डोर हमारे हाथमें है। हम लायक—मर्द साबित होंगे तब सभी समझौता करना चाहेंगे। सत्य और मर्दानगीको यही महिमा है।

'क्रिटिक' में व्यंग्यचित्र

'किटिक' में इस बार हँसने योग्य व्यंग्यचित्र आया है। एक तरफ एक भारतीय कोड़ा दिखाता हुआ कह रहा है कि आपको निर्वासित करनेकी सत्ता नहीं है, दूसरी ओर जनरल बोथा और उनके मन्त्री भाग रहे हैं। इसको मिलाकर 'अनाक्रामक प्रतिरोध' सम्बन्धी कुल तीन व्यंग्यचित्र निकल चुके हैं।

सरकारकी जिद्द

मालूम होता है कि समझौता करनेवालोंको स्मट्स साहबने टका-सा जवाब दिया है। वे कहते हैं कि कानून रद करने या नोटिस वापस लेनेका उनका कोई इरादा नहीं है। स्मट्स साहबके इस कथनसे किसीको डरना नहीं चाहिए। उन्हें तो बोलने की आदत पड़ी हुई है। जब कानूनको अमलम लायेंगे तब पता चल जायेगा।

जूटनिक [यूटनहेग] से सहायता

जूटनिकके भारतीयोंसे लड़ाईमें जो मदद मिली है, उसके लिए संघने उनका आभार माना है। मुझे आशा है कि दूसरे लोग भी उनका अनुकरण करेंगे। पोर्ट एलिजाबेथके भारतीयोंने चन्दा इकट्ठा किया हो तो वह [संघको] भेज देना चाहिए।

द॰ आ॰ वि॰ भा॰ समितिको मदद

पाँचेफ्स्ट्रूमसे श्री रतनजी लखमीदासकी मारफत वहाँके हिन्दुओंकी ओरसे १६ पौंड ८ शिलिंग और ६ पैंस तथा श्री नानजी घेलाकी ओरसे ५ पौंड दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके लिए मिले हैं। इसी प्रकार दूसरे भारतीयोंकी ओरसे भी मदद मिलती रहे तो समितिके काममें अड़चन नहीं आयेगी। हालमें श्रीमती रिचकी सख्त बीमारीके कारण श्री रिचको जो खर्च करना पड़ रहा है, वह समितिके कोषसे किया गया है, यह सबको याद रखना चाहिए।

भीखा नारण

इस व्यक्तिके बारेमें कुछ बातें लिखी जा चुकी हैं। यह श्री डेल लेसके यहाँ नौकर था। इसे अब बहुत ही पश्चात्ताप हुआ है। इसने अपनी अर्जीकी रसीद संघको भेज दी है।