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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अब सरकार विचार करेगी। इसी बीच एक और नई बात सामने आई है। फ्रीडडॉर्प अध्यादेश कुछ गोरोंको पसन्द नहीं है। अतः उस रास्ते भी शायद हम बच सकते हैं।

नये कानूनमें परिवर्तन नहीं होगा

सर जॉर्ज फेरारने'[१] जनरल बोपासे पूछा कि सुना जाता है, नये कानून में कुछ परिवर्तन करनेके लिए बड़ी सरकारसे कहा जायेगा, वे परिवर्तन कौन-से हैं? उसके उत्तरमें जनरल बोथाने कहा: “जब भारतीयोंका शिष्टमण्डल मुझसे मिला था और बड़ी सरकारने भी सलाह दी थी, तब मैंने कहा था कि इस काननको इस तरह लाग किया जायेगा कि जिससे भारतीय भावनाओंको चोट न पहुँचे।" इसपर सर जॉर्जने कहा: “यह कोई मेरे सवालका जवाब नहीं है। कानूनकी कौन-सी आपत्तिजनक बात हटानेका विचार है?" जनरल बोथाने कहा: “एक भी नहीं।"

मैं ऊपर लिख चुका हूँ कि ब्रिटिश भारतीय संघने उपनिवेश-सचिवको लिखा है। जनरल बोथाके उत्तरसे मालूम होता है कि जो लोग कानून में परिवर्तनको आशा रखते हैं उनकी आशा व्यर्थ है। कानन कब लाग होगा और भारतीय कौमकी सुचना मंजर होगी यह दूसरी बात है। किन्तु दूसरेकी आशा सदा निराशा' इस बातको अपने मन में गाँठ बाँधकर भारतीय समाजको ट्रान्सवालमें अपनी टेक निभाने के लिए पूरी तैयारी रखनी चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २२-६-१९०७

३६. पैगम्बर मुहम्मद और उनके खलीफा

प्रस्तावना

अपने विचारके अनुसार इस सप्ताहसे हम उपर्युक्त विषयपर एक लेखमाला प्रारम्भ कर रहे हैं। हिन्दू और मुसलमान किस भाँति एक दिल बनें और रहें, यह सदा हमारा उद्देश्य रहेगा। ऐसा करनेके अनेक मार्गों में से एक यह है कि वे एक-दूसरेको अच्छाइयोंको जानें। इसके सिवा हिन्दू और मुसलमान अवसर आनेपर बिना दिखावेके एक-दूसरेकी सेवा करें। ऊपरकी लेखमाला शुरू करने में हमारे दोनों उद्देश्य निहित हैं।

हमारा उद्देश्य भारतीय समाजमें शिक्षा और सद्ज्ञानका प्रसार करना भी है। इसकी पूर्तिके लिए हमारा इरादा अलगसे पुस्तकें छापनेका था और अब भी है। हमें आशा है कि न्यायमूर्ति अमीर अलीकी इस्लाम सम्बन्धी पुस्तकका अनुवाद तथा दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके दुःखकी कथाका प्रकाशन हम कर सकेंगे। किन्तु इसमें कुछ बाधाएँ हैं, जो अभी हटी नहीं है। और इसलिए इसमें कुछ देर लगेगी।

इस बीच हमने प्रख्यात लेखक वॉशिंगटन इरविंग रचित पैगम्बरका जीवन-चरित्र प्रति सप्ताह प्रकाशित करना निश्चित किया है। यह प्रत्येक हिन्दू-मुसलमानके पढ़ने योग्य है। अधिकतर हिन्दू पैगम्बरके कार्यकलापोंसे अपरिचित है और अनेक मुसलमान यह नहीं जानते कि अंग्रेजोंने

[२]देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ४७६-७८।

[३] टान्सवाल विधान परिषदके नामजद सदस्य।

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