कुछ दे डाला है, इसलिए श्री स्मट्सको शक्तिशाली व्यक्ति नहीं कहा जा सकता। श्री हेमंडका कहना है कि भारतीयोंको बेधड़क जेलमें रखना ठीक था। श्री हाइमन लेवी नामक एक और गोरा लिखता है कि उसने अपना मत श्री स्मट्सके दलके लोगों को दिया था। अब चूँकि उन्होंने भारतीयोंकी सुन ली है इसलिए उसे उनपर रोष है और उसने श्री स्मट्सके खिलाफ बहुत सख्त लिखा है। इन पत्रोंसे पता चलता है कि जब संसदकी बैठक होगी तब श्री स्मट्सकी स्थिति विषम हो जायेगी। यह सब देखकर भारतीय कौमको अच्छी तरह विचार करना है और पंजीयन बड़ी तेजीसे निपटा देना है, जिससे सबको विश्वास दिलाया जा सके कि हम सच्चा खेल ही खेल रहे हैं। भारतीय कौमके भविष्यकी परिस्थितिका आधार आगामी तीन महीने के कामपर होगा। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि प्रत्येक भारतीय अपने स्वार्थका विचार छोड़कर केवल यही सोचेगा कि कौमका भला कैसे हो।
कार्यालय कब खुलेगा?
स्वेच्छया पंजीयन करनेके लिए आगामी सोमवारको वॉन ब्रैंडिस स्क्वेयरके पुराने देवालयमें कार्यालय खुलेगा। स्वेच्छया पंजीयन लेनेवाले उस समय वहाँ तुरन्त पहुँच जायें। हमारा कर्तव्य है कि हम बड़ी तेजीसे इसे पूरा करें। व्यवस्था हुई है कि इस सम्बन्धमें 'गज़ट' में सूचना नहीं छपेगी---सो ऐसा समझकर कि इसमें हमारी अधिक शोभा है। यह सम्भव है कि प्रिटोरियाके अतिरिक्त अन्य गाँवोंमें पंजीयन मजिस्ट्रेटोंके द्वारा होंगे। हमारे पास तीन महीनेकी अवधि है; किन्तु डेढ़ महीनेकी अवधिमें समाप्त कर दें तो और भी अच्छा हो।
तारोंकी वर्षा
कैदियोंकी रिहाईके बारेमें तारोंकी वर्षा ही हो गई है। दक्षिण आफ्रिकाके प्रत्येक भागसे तार छूटे हैं। करीब डेढ़ सौ तार आये होंगे। शुक्रवार और शनिवारको पाँच-पाँच मिनटके बाद तारवाला आता हुआ देखा गया। इसके सिवा अदनसे और भारतसे भी तार आये हैं। अदनसे श्री कैकोवादका, पोरबन्दरसे श्री हाजी इस्माइल झवेरीका और बम्बईसे प्रेसिडेंसी एसोसिएशनकी ओरसे सर फिरोजशाह मेहताका तार आया है। सर फिरोजशाहका तार लम्बा है; उसमें कीमको बड़ी बधाई दी गई है, और उसके धैर्य, साहस, सहिष्णुता और चातुर्यकी प्रशंसा की गई है।
गोरोंकी सहायता
ट्रान्सवालकी लड़ाईमें गोरोंसे जो सहायता प्राप्त हुई है उसकी सीमा नहीं है। श्री कार्टराइट, श्री डेविड पोलक, श्री फिलिप्स[१], श्री डोक [२], श्री स्टेंट, ('प्रिटोरिया न्यूज' के
- ↑ चार्ल्स फिलिप; कैथलिक धर्मके स्थायी शासन संघ द्वारा नियुक्त पादरी। देखिए: दक्षिण अफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २३।
- ↑ पूज्यपाद जोज़ेफ जे० डोक (१८६१-१९१३); जोहानिसबर्गके बैपटिस्ट गिरजाघर के पादरी। कैथलिक धर्मके स्थायी शासन संघ द्वारा भारतीयोंके प्रति उनकी सहानुभूतिको अस्वीकार करनेपर वे अपने पदसे त्यागपत्र देनेके लिए तैयार थे। १९११ में अब गांधीजी और पोलक जेलमें थे तब उन्होंने इंडियन ओपिनियनका सम्पादन किया था। अपने धार्मिक व्यवसायका अनुसरण करते हुए रोडेशियामें उनकी मृत्यु हुई। देखिए दक्षिण आफ्रिका सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २२।