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जोहानिसबर्गकी चिठ्ठी

सम्पादक) आदि प्रसिद्ध गोरोंने बहुत ही अच्छी सहायता की। इनमें से कई तो अन्तत हमारा साथ देनेकी तैयारीमें थे। इसके अतिरिक्त सैकड़ों गोरोंने सहायता करनेका इरादा किया था, जिसका हमें पता तक नहीं चला। विलायतमें फैले हुए जोशसे प्रकट होता है कि वहाँके लोग भी सत्यके लिए संघर्ष करनेको तैयार हो चुके हैं। इस विचारको हृदयमें रखकर गोरोंके प्रति अपने रोषको मिटा देना भारतीय समाजके योग्य होगा। उन लोगोंमें कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता, ऐसा हम कई बार बिना विचारे कह देते हैं। परन्तु यह स्पष्ट भूल है। मनुष्य जाति एक ही है। और यदि बहुतसे गोरे भूलसे भेद मानें तो भी हमें ऐसी भूल नहीं करनी चाहिए।

फेडरेशन हॉल

बुधवारको संघकी समितिकी बैठक हुई थी। उसमें तय हुआ है कि समाज भवन (फेडरेशन हॉल) के लिए, और कुछ अन्य खर्चके लिए, चन्दा किया जाये। दस शिलिंगके टिकट निकाले जायें और प्रत्येक कमसे-कम इतना दे। जो अधिक देनेकी क्षमता रखते हों वे अधिक दें। विशेष आगामी सप्ताहमें लिखूँगा। मुझे आशा है कि इस बातमें सभी पर्याप्त सहायता देंगे।

जीतका व्यंग्य-चित्र

गत ११ तारीखके अंकमें हम 'संडे टाइम्स' के उस व्यंग्य-चित्रका उल्लेख कर चुके हैं जिसमें यह बताया गया था कि ट्रान्सवाल सरकार -रूपी स्टीमरोलर भारतीय कौम-रूपी[१] हाथीको कुचल डालनेपर तुला हुआ है। उक्त समाचारपत्रने भारतीय कौमकी जीत दिखाने के लिए उसी व्यंग्य-चित्रको अभी-अभी दूसरे रूपमें दिया है।[२] उसमें स्टीमरोलर टुकड़े-टुकड़े होकर अस्त-व्यस्त बिखरा पड़ा है। स्मट्स साहबकी कुर्सी टूटी हुई हालतमें जमीनपर पड़ी है। शोचनीय अवस्थामें स्मट्स साहब उसपर पड़े हुए हैं और सामने खड़े हाथीकी ओर भयकी दृष्टिसे देख रहे हैं। उनके सिरपर अपयशकी टोपी धरी है। अस्त-व्यस्त पड़े हुए स्टीमरोलरको देखकर भारतीय समाज-रूपी हाथी स्मट्स साहबके बिलकुल पास तक अपनी सूंड बढ़ाये प्रफुल्लित खड़ा है, और पूछ रहा है, "कहिए, आप सब मजेमें तो हैं?" और यह भी दिखाया गया है कि श्री गांधी-रूपी महावत अपने दोनों हाथोंकी अँगुलियोंको, जिस प्रकार पंखा फैलाया जाता है उस प्रकार फैलाकर अपनी नाकसे लगाकर मानो श्री स्मट्ससे यह कह रहा है कि "क्यों? चख लिया अँगुलियोंकी छापका स्वाद?" व्यंग्य-चित्रके नीचे लिखा है: "श्री गांधीकी अँगुलियोंको निशानी लगवानेवाले उपनिवेश-सचिवका चित्र।"

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, ८-२-१९०८
 
  1. देखिए व्यंग्य--चित्र पृष्ठ ३२ के सामने।
  2. देखिए व्यंग्य चित्र सामने।