पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

६३. स्वर्गीय सर लेपेल ग्रिफिन

सर लेपेल हेनरी ग्रिफिनकी मृत्युसे आंग्ल-भारतीय संसारसे एक बहुत ही दिलचस्प व्यक्तित्व उठ गया। सर लेपेल एक जाँचे-परखे प्रबन्धकर्ता थे। उन्होंने प्रवन्धकार्य एक लम्बे अर्से तक किया था। वे एक विद्वान् पुरुष थे और सार्वजनिक धनकी व्यवस्था और सदुपयोग करनेमें दक्ष थे। उन्होंने भारतसे अपना नाता कभी नहीं तोड़ा और पूर्व भारत संघके अध्यक्षकी हैसियतसे भारतीय मामलोंके सम्बन्धमें वे प्रायः जनताके सामने आया करते थे। जो शिष्टमण्डल लॉर्ड एलगिनसे मिलने गया था, उसके अगुआ बनकर उन्होंने दक्षिण आफ्रिकामें बसनेवाले भारतीयोंकी बड़ी सहायता की थी। उन्होंने भारतीय संघर्षमें दिलचस्पी लेना अन्ततक नहीं छोड़ा। उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीय संघके उपसभापतिके पदपर मनोनीत किया जाना स्वीकार कर लिया था और इस हैसियतसे वे समितिको अपने परामर्श और पथ-प्रदर्शनसे लाभान्वित करते रहे थे। हम सर लेपेलके परिवारके प्रति आदरके साथ अपनी समवेदना प्रकट करते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १४-३-१९०८

६४. एस्टकोर्टके परवाने

एस्टकोर्टकी अपील समझने और जानने योग्य है।[१] अदालतके निर्णयको हम चूहेका काटना मानते हैं। वह इस तरहका होता है कि हम सोते ही रहें और यह खबर न पड़े कि कोई काट गया है। थोड़ी-बहुत मुहलत देकर भारतीयोंको भुलानेकी कोशिश की हुई है। यदि ऐसा हुआ तो अदालतके निर्णयको भारतीय समाजके लिए हानिकारक मानना चाहिए। किन्तु अवसर ऐसा है कि यही निर्णय लाभकारी हो सकता है। अदालतने जो मुहलत दी है इस बीच भारतीय समाजको उचित है कि उसका लाभ उठाते हुए वह अपना उपाय जारी रखे। यदि ऐसा किया गया तो मुहलतका मिलना ठीक माना जा सकता है। कर्नल ग्रीनने

 
  1. मार्च २ और ३, १९०८ को एस्टकोर्ट स्थानिक निकायकी बैठक हुई। उसमें परवाना अधिकारीके निर्णयके विरुद्ध पाँच भारतीयोंकी याचिकाओं पर विचार किया गया। परवाना अधिकारीने उनके १९०८ के परवानोंको नया करनेसे इनकार कर दिया था। श्री ए० एम० पटेलके परवानेको नया करनेके विरुद्ध परवाना अधिकारीकी ये आपत्तियाँ थीं: (क) उनकी बहियाँ असन्तोषजनक ढंगसे रखी गई हैं, रकमें गलत दर्ज हैं और (ख) वहियोंमें रकमें पहले दर्ज नहीं की गई थीं; बल्कि वे प्रार्थी द्वारा मुनीमको दी गई जवानी सूचना के आधारपर दर्ज की गई हैं। कर्नल ग्रीनने परवाना अधिकारीसे जिरह की। उससे ज्ञात हुआ कि (क) उसने प्रार्थक परवानेको गत वर्ष नया कर दिया था, यद्यपि बहियाँ उसी ढंगसे रखी गई थीं और (ख) उसने प्रार्थीको इस आशयकी कोई सूचना नहीं दी थी कि भविष्यमें बहियाँ भिन्न ढंगसे रखी जायें। हिसाबमें तथाकथित भूलें श्री जी० आर० वीटीकी हैं। ये एक यूरोपीय मुनीम हैं जिन्हें प्रार्थने नियुक्त किया था। गवाहकी हैसियतसे अदालत के सामने मुनीम श्री वीटीने