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मेरा जेलका अनुभव [२]

कम्बलको यद्यपि हमेशा धूपमें फैलाया जाना चाहिए, किन्तु इस नियमका कदाचित् ही पालन होता था। जेलका अहाता नित्य दो बार साफ किया जाता था।

कुछ नियम

जेलके कुछ नियम सबके जानने योग्य हैं। साँझको ५॥ बजे कैदियोंको बन्द कर दिया जाता है। रातके ८ बजे तक वे कोठरीमें पढ़ सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं। ८ बजने के बाद सबके लिए सो जाना अनिवार्य होता है। अर्थात् नींद न आये तो भी लेटे रहना चाहिए। ८ बजेके बाद बीच-बीचमें बातचीत करना जेलके नियमका उल्लंघन माना जाता है। वतनी कैदी इस नियमका ठीक-ठीक पालन नहीं करते इसलिए पहरेदार रातको उन्हें चुप रखने के लिए 'ठुला-ठुला'[१] कहकर दीवारोंपर लाठी ठोंकते हैं। कैदियोंको बीड़ी पीनेकी सख्त मुमानियत होती है। इस नियमका पालन बड़ी सतर्कतासे कराया जाता है। फिर भी मैं देखता था कि कैदी बीड़ीके नियमका छुपकर उल्लंघन किया करते थे। सवेरे ५॥ बजे उठनेकी घंटी बजती है। उस समय हर कैदीको उठकर मुँह-हाथ धो डालना चाहिए तथा अपना बिस्तर समेट लेना चाहिए। सवेरे ६ बजे कोठरीका दरवाजा खोला जाता है। उस समय हर कैदीको अपने समेटे हुए बिस्तरके पास बाअदव खड़ा रहना चाहिए। रखवाला आकर हर कैदीको गिनता है। इसी तरह हर कैदीको कोठरी बन्द किये जाते समय अपने बिस्तरके पास खड़ा रहना चाहिए। कैदखानेकी चीजके सिवा और कोई चीज कैदीके पास नहीं होनी चाहिए। गवर्नरकी इजाजतके बिना कपड़ोंको छोड़कर कुछ और नहीं रखा जा सकता। हर कैदीके कुर्तेपर बटनके सहारे टँकी हुई एक थैली होती है। उसमें कैदी अपना टिकट रखता है। इस टिकटपर उसका नम्बर, सजा, नाम आदि दर्ज रहता है। साधारणतया दिनको कोठरीमें रहना मना है। सपरिश्रम सजावाला कैदी तो कामपर जाता है इसलिए रह ही नहीं सकता। सादी सजावाला कैदी भी कोठरीमें नहीं रह सकता। उसे आँगनमें रहना चाहिए। हमारी सुविधाके विचारसे गवर्नरने एक मेज और दो बेंचें रख देनेकी इजाजत दे दी थी; और ये बहुत उपयोगी सिद्ध हुईं।

यदि सजा दो महीनेसे ज्यादा की हुई हो तो नियम है कि वह कैदी अपने बाल और मूँछें कटवा दे। भारतीयोंपर यह नियम सख्तीसे लागू नहीं किया जाता था। यदि कोई एतराज करे तो मूँछें रहने दी जाती हैं। इस बारेमें मुझे मजेदार अनुभव हुआ। मैं खुद जानता था कि कैदियोंके बाल काटे जाते हैं। और यह भी जानता था कि बाल और मूँछें कटवा डालनेका नियम कैदियोंके आरामके खयालसे है; न कि उनकी तौहीनके खयालसे। मैं खुद इस नियमको बहुत आवश्यक समझता हूँ। कैदखानेमें बाल सँवारनेके लिए कंघा आदि साधन नहीं होते। यदि बाल साफ न रखे जायें तो फुंसियाँ इत्यादि होनेकी बड़ी सम्भावना होती है। फिर गर्मी हो तो बाल असहनीय हो जाते हैं। कैदियोंको आइना नहीं मिलता; इसलिए मूँछका गन्दा रहना मुमकिन है। खाते समय रूमाल तो होता नहीं है; लकड़ीका चम्मच खानेमें अड़चन डालता है। मूँछ लम्बी हो तो खाना मूँछमें लग जाता है। इसके सिवा मेरा इरादा कैदखाने के सारे अनुभव लेनेका था। इसलिए मैंने बड़े दरोगासे अपनी मूँछ और बाल कटवानेकी माँग की। उसने कहा, "गवर्नरकी सख्त मनाही है"। मैंने कहा, "मैं जानता

 
  1. ठुला शब्दका अर्थ है 'खामोश रहो'।