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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

उसी दिन ११ बजे [ ब्रिटिश भारतीय संघकी ] समितिकी बैठक हुई। उसमें यह प्रस्ताव हुआ कि एक हफ्ते तक प्रतीक्षा की जाये। बैठकमें अध्यक्ष श्री ईसप मियाँ और अन्य बहुत-से भारतीय उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त यह प्रस्ताव हुआ कि यदि जनरल स्मट्सकी ओरसे अन्तिम जवाब न मिले तो रविवारको सारे भारतीय बाहरके नगरोंसे भी बुलाये जायें और सभा करके यह सबपर जाहिर कर दिया जाये।

स्मट्सको पत्र

बैठकके बाद जनरल स्मट्सको श्री गांधीने निम्नलिखित पत्र लिखा।[१]

ऊपरके पत्रमें जनरल स्मट्ससे जो कहा गया है, उसमेंसे कितना मिल सकेगा, यह समाजकी हिम्मतपर निर्भर है।

बुधवार [जून १६, १९०८]

विलायतमें कानूनपर चर्चा

आजके अखबारमें तारकी खबर है कि विलायतमें इस सवालपर चर्चा हो रही है। इसके सिवा ऐसा तार भी है कि खूनी कानून रद करनेकी बात तय हो गई है और भारतमें समितियाँ बनाई गई हैं, जिनका काम प्रवासी भारतीयोंके अधिकारोंकी रक्षा करना है। इस विषयमें सर रिचर्ड सालोमनने [ एक प्रश्नका ] अधूरा जवाब दिया और कहा कि एशियाई कानून में सुधार होगा। इसलिए कानून रद नहीं किया जायेगा। मैं स्वयं इस जवाबको महत्त्वपूर्ण नहीं मानता।

ऊपरके तारका सारांश तो यह है कि सत्याग्रहकी लड़ाईकी जड़ें गहरी चली गई हैं और उसका रंग दिनोंदिन निखरता जा रहा है। इसके सिवाय यह अर्थ भी स्पष्ट होता है कि श्री रिच विलायतमें जरा भी चैन नहीं लेते और अपना काम करते चले जाते हैं।

'प्रिटोरिया न्यूज़'

'प्रिटोरिया न्यूज़' ने लिखा है:

हमें खबर मिली है कि जनरल स्मट्सने श्री गांधी को जो वचन दिया है उसके मुताबिक कानून रद हो जायेगा और स्वेच्छया पंजीयन, प्रवासी कानूनके अन्तर्गत वैध बना दिया जायेगा। इसके साथ अदालतमें अपील करनेकी शर्त भी शामिल कर ली जायेगी। इस प्रकारके ये सुधार बड़ी सरकारकी सूचनापर किये जायेंगे।

उपर्युक्त समाचार पत्रोंमें छपा है। इसपर टिप्पणी देते हुए पत्रके सम्पादक लिखते हैं:

गवर्नरके भाषणमें एशियाइयोंके बारेमें थोड़ा कहकर चतुराईकी गई है। हम दूसरी जगह जो कह चुके हैं उसके मुताबिक सरकार पूरी तरह हार गई है। स्वेच्छया पंजीयन वैध किया जायेगा, केवल इतना ही नहीं, बल्कि एशियाई कानून रद होगा और प्रवासी अधिनियममें परिवर्तन होगा। उपनिवेश सचिव इस तरह कानून रद

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  1. इसका अनुवाद यहाँ नहीं दिया जा रहा है। मूल अंग्रेजी पत्रके अनुवादके लिए देखिए "पत्र: जनरल स्मट्सको", पृष्ठ २८१-८३।