पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 8.pdf/३८८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२०९. हिन्दू श्मशान

हिन्दू लोग मुर्दोंको जला देते हैं, यह बात जगत-प्रसिद्ध है। मृतकोंके दाह-संस्कार सम्बन्धी जैसी सुविधा डर्बनमें है, वैसी सुविधा पूरे उपनिवेशमें दी जाये---इस आशयकी प्रार्थनापर सरकारकी ओरसे श्री दीवानको मिलनेवाला उत्तर निराशाजनक है। किसी प्रकारका कारण बताये बिना सरकार कहती है कि इस प्रकारकी व्यवस्था नहीं की जा सकती। यह ठीक है कि बहुत-से हिन्दुओंके मुर्दे गाड़ दिये जाया करते हैं, परन्तु धार्मिक प्रथापर अनिवार्यतः प्रतिबन्ध लगाया जाना हमें सहन नहीं हो सकता। हिन्दू लोग असुविधाके कारण अथवा अन्य कारणोंसे मुर्दे नहीं जलाते रहे। इसमें उनका दोष निकालना हो तो भले ही निकाला जाये। परन्तु ऐसा करना या न करना उनकी मर्जीकी बात थी। अब जबकि सरकार उसपर प्रतिबन्ध लगाना चाहती है, उसका विरोध करनेकी पूरी आवश्यकता है।

प्रत्येक हिन्दूके हस्ताक्षरके साथ एक प्रार्थनापत्र सरकारके पास भेजा जाना चाहिए। अगर उसपर हजारों व्यक्तियोंके हस्ताक्षर होंगे, तो मुमकिन हैं सुनवाई हो।

इस सम्बन्धमें मुसलमान, ईसाई, पारसी---सभी मदद कर सकते हैं। आज एक धर्मपर आक्रमण किया जा रहा है तो कल दूसरेपर होगा। इसलिए, हमें आशा है कि हिन्दू लोग इस कामको हाथमें उठा लेंगे, इतना ही नहीं, बल्कि अन्य भारतीय समाज भी उसे प्रोत्साहन देंगे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-७-१९०८

२१०. सीडेनहममें खून

सीडेनहममें श्री बनु और उनकी पत्नीका जो खून हुआ है, उससे जो आलोचना हम कर चुके हैं,[१] उसे समर्थन मिलता है। हमें अभीतक इस खूनका कारण मालूम नहीं हुआ है। सीडेनहम आदि जगहोंके पुलिस प्रबन्धके बारेमें सरकारको लिखना आवश्यक है; फिर भी वास्तविक उपाय हमारे ही हाथमें है। इसके अलावा श्री बनुकी लाशको दफनाने आदिके बारेमें जो कठिनाई हुई, वह सरकारके लिए लज्जाजनक है। यह अच्छी बात नहीं हुई कि दो दिनोंतक लाश दफन नहीं की जा सकी। इसमें सरकारी अमलदारोंका दोष दिखाई पड़ता है। इस विषयमें भी कांग्रेसने सरकारको लिखा, यह ठीक हुआ है। कांग्रेसको चाहिए कि ऐसे मामलोंमें वह सरकारको पूरे जोरके साथ लिखे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-७-१९०८
 
  1. देखिए "नेटालमें हत्याएँ", पृष्ठ २७१-७२ और "नेटालमें हत्याओंका कारण क्या है", पृष्ठ २९१-९२।