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२३२. बावजीर, नायडू तथा अन्य लोगोंका मुकदमा

[ जोहानिसबर्ग,
जुलाई २२, १९०८ ]

मंगलवार को सुबह-सुबह ब्रिटिश भारतीय संघकी समितिके एक सदस्य श्री थम्बी नायडू और उसी दिन तीसरे पहर हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके अध्यक्ष श्री इमाम अब्दुल कादिर बावजीर, सर्वश्री जी० पी० व्यास, मुहम्मद इब्राहीम कुनके, एम० जी० पटेल तथा जी० के० देसाई परवानेके बिना फेरी लगानेके कारण गिरफ्तार कर लिये गये। उन्होंने जमानतपर छूटनेसे इनकार कर दिया और बुधवारको उन्हें अदालतमें पेश किया गया। उनपर उचित परवानेके बिना व्यापार करनेका अभियोग लगाया गया।

परवाना-निरीक्षक जे० बी० बार्नेटने[१] बताया कि मैंने अभियुक्तोंको कल[२] दिनमें २ बजकर ३० मिनटपर मार्केट स्ट्रीट और सिमंड्स स्ट्रीटके नुक्कड़पर गिरफ्तार किया था। अभियुक्तों ने मुझे बताया कि उन्होंने परवाने नहीं लिये हैं।

श्री गांधीने, जो सफाई पक्षकी पैरवी कर रहे थे, इमाम अब्दुल कादिर बावजीरको जिरहके लिए बुलाया। श्री बावजीरने उनके सवालके जवाबमें कहा, मैं हमीदिया इस्लामिया अंजुमनका अध्यक्ष और भारतीय मस्जिदका पेश इमाम हूँ। मैंने हालमें ही फेरीका काम शुरू किया है।

[ गांधीजी: ] क्या आप अदालतको इसकी वजह बतायेंगे?

[ बावजीर: ] क्योंकि जनरल स्मट्स और कुछ भारतीय नेताओंके बीच एक समझौता हुआ था...।

सरकारी वकीलने टोककर पूछा कि क्या गवाहको यह बात स्वतः ज्ञात थी।

न्यायाधीश: क्या अभियुक्तने उपनिवेश-सचिवसे परवानाके बिना फेरी लगानेकी अनुमति ली है?

श्री गांधी: नहीं।

श्री गांधीने आगे कहा, गवाहसे तथ्य निकलवानेकी मेरी इच्छाका कारण वही है जो मैंने कल बताई थी। मेरी रायमें अदालतको यह जाननेका अधिकार है कि अभियुक्त-जैसी हैसियतके व्यक्तिने फेरीका काम क्यों अपनाया।

न्यायाधीशने कहा कि इस बातमें अदालतको कोई दिलचस्पी नहीं है।

श्री गांधीने कहा कि यह बात दिलचस्पीकी नहीं, न्यायकी है।

गवाहने आगे कहा, जब समझौता हो गया तब मैंने उसे पूरा करनेमें सहायता की थी, किन्तु अब मैं देखता हूँ कि जहाँतक सरकारका सम्बन्ध है, समझौतेको ठीक ढंगसे पूरा

 
  1. "वैरेट" ?
  2. अर्थात, मुकदमेसे एक दिन पहले, जुलाई २१, १९०८ को।