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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय



परवाना किन्होंने लिया?

आज मुझे (अधिकृत) खबर मिली है कि जोहानिसबर्गमें ८०० भारतीय फेरीवाले हैं। उनमें से ७०० ने परवाने लिये हैं। ३०० ने कानूनके बाहर लिये हैं। शेष लोगोंने अँगूठोंकी छाप देकर कानूनकी रूसे लिये हैं। मुझे आशा है कि जिन लोगोंने परवाने लिये हैं वे उन्हें जला डालेंगे अथवा सन्दूकमें बन्द कर देंगे और परवाने न दिखाकर जेल जायेंगे। जो शेष १०० रह गये, वे कभी परवाने नहीं लेंगे, ऐसी मुझे पूरी आशा है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २५-७-१९०८

२३४. भाषण: सार्वजनिक सभामें

[ जोहानिसबर्ग
जुलाई २३, १९०८ ]

गत महीनेकी २३ तारीखको ट्रान्सवालके सारे भारतीयोंने एक दिनके लिए अपना कारोबार बन्द रखा। इस हड़तालका उद्देश्य हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके अध्यक्ष इमाम अब्दुल कादिर तथा उन अन्य भारतीयोंके प्रति सम्मान प्रदर्शित करना था, जिन्हें ट्रान्सवाल सरकारके विश्वासघातके विरोधस्वरूप परवानके बिना फेरी लगानेके लिए सपरिश्रम कारावास दिया गया था। भारतीय फेरीवालों और बिसातियोंने फेरी नहीं लगाई, जिससे उन यूरोपीय गृहिणियों को बड़ी परेशानी हुई, जो इनकी सेवापर इतना अधिक निर्भर करती हैं।

फोर्ड्सबर्ग-स्थित हमीदिया मस्जिदके प्रांगणमें एक भारी सभा हुई, जिसमें १,५०० लोग उपस्थित थे।[१] लोगोंमें बड़ा उत्साह था और उन्होंने श्री गांधी तथा अन्य वक्ताओंके भाषण तन्मयताके साथ सुने। रीफ टाउनसे भी कुछ प्रतिनिधि आये थे, यद्यपि निमन्त्रण किसीको नहीं भेजा गया था। श्री ईसप इस्माइल मियाँने अध्यक्षता की...। श्री गांधीके भाषणका पूरा पाठ नीचे दिया जा रहा है:

मैं आपको दक्षिण आफ्रिकाके कई स्थानोंसे प्राप्त तार पढ़कर सुनाऊँगा। ये तार दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय संघ तथा हमीदिया इस्लामिया अंजुमनके इस अनुरोधके उत्तरमें आये हैं कि हमारे समस्त दक्षिण आफ्रिकावासी भाई अंजुमनके अध्यक्षके सम्मानमें सारा भारतीय कारोबार –--दूकानदारी भी और फेरी लगाना भी---बन्द रखें। आज, इस तीसरे पहर, हम जिस मस्जिदकी छायामें खड़े हैं, उक्त अध्यक्ष महोदय उसके पेश इमाम भी हैं। अनुरोधका बड़ा व्यापक स्वागत हुआ है और उससे प्रकट होता है कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय समाजके विभिन्न अंग आपसमें कितने सुसंगठित हैं। मेरा विचार है, हम सरकारको इस बात के लिए बधाई और धन्यवाद दे सकते हैं कि उसने, शायद अनजाने ही, इतनी बड़ी

 
  1. ट्रान्सवाल लीडरके विवरणके अनुसार सभामें उपस्थित लोगोंकी संख्या पत्रके सम्वाददाताके अनुमानसे ५०० थी। कुछ चीनी भी उपस्थित थे।