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भाषण: घनिष्ठतर ऐक्य समाजमें

है कि वे घड़ी-भर बाद क्या निर्णय लेंगे सो खुद भी नहीं जानते। और स्वेच्छया पंजीयनके अमलके प्रारम्भिक दौरमें अधिकांश विक्षोभका कारण उनकी ढुलमुल नीति तथा उनके अविवेक-पूर्ण निर्णय ही थे। मैं इसके अनेक उदाहरण दे सकता हूँ। किन्तु मैं इसे आवश्यक नहीं समझता। मेरे विचारमें, अब आवश्यकता इस बातकी है कि इस पदपर कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसमें न्यायिक प्रतिभा तथा प्रचुर सहानुभूति हो। यदि यह सुझाव स्वीकार नहीं किया जाता तो मेरा खयाल है कि किसी भी अधिनियमको अमलमें लानेपर, फिर वह चाहे जितनी अच्छी तरह निर्मित क्यों न किया गया हो, सदैव विक्षोभ उत्पन्न होगा और इसके परिणामस्वरूप कठिनाइयाँ सामने आयेंगी।

मैं इसकी नकलें प्रगतिवादी दलके नेताओंको भेज रहा हूँ।

आपका सच्चा,

श्री अर्नेस्ट एफ० सी० लेन
जनरल स्मट्सके निजी सचिव
उपनिवेश कार्यालय
प्रिटोरिया
इंडियन ओपिनियन, २९-८-१९०८

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४८५९) से भी।

२७९. भाषण: घनिष्ठतर ऐक्य समाजमें

[ जोहानिसबर्ग
अगस्त २०, १९०८ ]

घनिष्ठतर ऐक्य समाज (ट्रान्सवाल क्लोजर यूनियन सोसाइटी) की पहली बैठक कल रात [२० अगस्त, १९०८ को] बी स्ट्रीट-स्थित कांग्रिगेशन चर्च हॉलमें हुई। श्री एडवर्ड नैथनने अध्यक्षता की। विचारणीय विषय था "घनिष्ठतर ऐक्यके प्रसंगमें एशियाई समस्या"। विचार-विमर्शका आधार श्री अल्फ्रेड बार्करके वे निबन्ध थे जो गत सोमवार और मंगलवारको 'ट्रान्सवाल लीडर' में प्रकाशित हुए थे।

जब श्री बार्कर अपना निबन्ध पढ़ चुके, तब श्री गांधीने कहा कि मेरी रायमें दक्षिण आफ्रिकाके यूरोपीय और एशियाई, दोनों ही इस प्रश्नपर एकमत हैं कि एशियाई प्रवासियोंका आगमन नियन्त्रित या प्रतिबन्धित होना चाहिए, और वह नियन्त्रित है भी। केप कॉलोनी और नेटालमें इस मतलबका एक कानून है, और ट्रान्सवालमें भी दरवाजे बन्द हैं। रोडेशियामें पहलेसे ही एक प्रवासी प्रतिबन्धक कानून है, और उसके विधायक अब विधि-पुस्तिकामें एक एशियाई पंजीयन कानून और शामिल करनेके लिए प्रयत्नशील हैं।[१] मेरी व्यक्तिगत रायमें इस कानूनकी उन्हें कोई जरूरत नहीं है। प्रवासी कानून बनाकर उन्होंने अपना उद्देश्य पूरा

 
  1. देखिए "रोडेशियाके भारतीय", पृष्ठ २५७-५८ और ३२८।