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जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

गिरफ्तारी हिदायतोंके अनुसार की है। मैं जानता हूँ कि आज जोहानिसबर्गमें ऐसे बहुत-से भारतीय हैं, जिनके पास अनुमतिपत्र और पंजीयनपत्रके पुराने प्रमाणपत्र हैं। परन्तु उनके खिलाफ कार्रवाई करनेके बारेमें मुझे हिदायत नहीं मिली। अभियुक्तने अपनी तरफसे सबूत देते हुए कहा कि मैं ट्रान्सवालका पुराना निवासी हूँ और मेरे पास शान्ति-रक्षा अध्यादेशके मातहत जारी किया गया अनुमतिपत्र है; इसी प्रकार सन् १८८५ के कानून ३ के मातहत पंजीयनका प्रमाणपत्र भी है। ये दोनों दस्तावेज अदालतमें पेश किये गये।

अदालतको सम्बोधित करते हुए श्री गांधीने इस कार्यवाहीकी विचित्रताकी तरफ उसका ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि अभियुक्त एक ऐसे आदमी हैं जिनको एशियाई कानूनके मातहत गिरफ्तार किया गया है और सजा भी दे दी गई है, यद्यपि अभी स्वीकृत हुए नये कानूनके[१] अनुसार उन्हें किसी प्रकार भी नहीं छेड़ा जाना चाहिए था। या तो सरकारको अपने नये कानूनका पालन करना चाहिए या कह देना चाहिए कि वह ऐसा नहीं करेगी। इस समय उपनिवेशके अन्दर पारस्परिक सम्बन्ध जैसी नाजुक हालतमें हैं उनको देखते हुए श्री गांधीने खास तौरपर सलाह दी कि अगले सोमवार तक इस मामलेको पेश नहीं किया जाये। और अभियोक्ता इस बातके लिए तैयार भी थे। परन्तु प्रिटोरियासे हिदायत आई कि वे मामलेको आगे बढ़ायें। इससे स्पष्ट रूपसे ज्ञात होता है कि प्रिटोरियामें शासन चलानेके क्या तरीके हैं।[२]

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २९-८-१९०८

२८९. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

बुधवार [ अगस्त २६, १९०८ ]

नये विधेयकसे क्या मिला?

इस बार भी मुझे अन्तिम बात पहले लेनी पड़ी। नया विधेयक २४ घंटोंमें दोनों सदनोंसे पास होकर निकल आया है। इससे प्रकट होता है कि अभीतक वे हमारी भावनाकी ओर पर्याप्त ध्यान नहीं देते।

उस विधेयकमें एक साथ [ हमारे मनकी ] बहुत-सी बातें आ जाती हैं। मुझे विस्तारसे स्पष्ट करनेका समय नहीं है। किन्तु उससे तुर्की मुसलमानोंसे सम्बन्धित आपत्ति दूर हो जाती है। स्वेच्छया पंजीयन खूनी कानूनके अन्तर्गत नहीं आता; इसके बाद जो पंजीयन होगा वह भी इसके अन्तर्गत नहीं आता। इससे समाजके आग्रहकी रक्षा हो जाती है। किन्तु उसमें दो बातोंका समावेश नहीं होता। खूनी कानून लगभग रद होकर भी औपचारिक रूपसे बना रहता है। उसका विरोध करना भारतीय समाजका अधिकार है। श्री स्मट्सने वचन

 
  1. एशियाई पंजीयन संशोधन कानून, १९०८।
  2. शेष कार्यवाहीकी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। देखिए अगला शीर्षक।