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१४. भाषण: न्यूटाउन मस्जिद में[१]

[ जोहानिसबर्ग
जनवरी १०, १९०८]

'स्टार' (जोहानिसबर्ग) के गत शनिवारके अंकसे विदित होता है कि उस दिन प्रातः- काल जब यह मालूम हुआ कि श्री गांधी तथा अन्य भारतीय और चीनियोंको, जिन्हें लगभग १५ दिन पहले ४८ घंटेके अन्दर उपनिवेश छोड़कर चले जानेका आदेश हुआ था, आज अदालतमें फैसला सुननेके लिए हाजिर होना है तब भारतीय समाजमें बड़ी खलबली मच गई। 'बी' अदालतके बाहर १० बजे बड़ी भीड़ हो गई और दरवाजे खोले जानेके पहले अदालतने सूचित किया कि अभियुक्तोंके मामले की सुनवाई तीसरे पहरसे पहले नहीं होगी। श्री गांधीको मामलेके इस तरह कुछ घंटोंके लिए मुलतवी हो जानेसे अपने देशवासियोंके समक्ष कुछ भाषण करनेका अवसर मिल गया। यह भाषण भारतीय जन-साधारणको सत्याग्रह आन्दोलनके नेताओंके कारावासकी अवधिमें दृढ़ बने रहनेके लिए विदाईके समयका उद्बोधन था। सभा ११ बजे न्यूटाउन-स्थित मस्जिदके अहातेमें की गई और यद्यपि खबर देनेके लिए बहुत कम समय मिला तो भी बहुत लोग इकट्ठे हो गये थे। अहातेमें सभाके लिए एक मंच खड़ाकर दिया गया था और हजारोंकी तादादमें इधर-उधर पड़े हुए काम देने लायक मिट्टीके तेलके पीपोंपर लोगोंके बैठने की व्यवस्था की गई थी। मंचपर ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष ईसप इस्माइल मियाँ, शानदार पूर्वी वेषभूषामें एक भारतीय पण्डित और श्री गांधी थे। श्री ईसप मियाँने कुछ प्रारम्भिक शब्द कहे और बादमें श्री गांधी बोले। लोगोंने उनका भाषण बहुत ध्यानपूर्वक सुना। सबकी आँखें बीचमें स्थित क्षीणकाय श्री गांधीकी ओर लगी थीं। इस सभासे श्री गांधीका अपने देशवासियोंपर कितना प्रभाव है सो झलक रहा था।

श्री गांधी हिन्दीमें[२] बोल चुकनेके बाद अंग्रेजीमें बोले। उन्होंने कहा, मैं आप लोगोंको बहुत देर तक रोके रखना नहीं चाहता। मुझे आज सुबह टेलिफोनसे यह सूचना दी गई है कि जिनके नोटिसकी अवधि चल रही है और जिनकी अवधि समाप्त हो चुकी है उन लोगोंको १० बजे अदालतमें हाजिर होना है। हम लोग अदालत जानेके लिए रवाना हो ही रहे थे कि अधीक्षक वरनॉन आ पहुँचे और उन्होंने बतलाया कि हमें दो बजे हाजिर होना है। मुझे यकीन है कि जो लोग आज जेल जा रहे हैं वे तनिक भी भयभीत नहीं हैं, प्रत्युत यह मानते हैं कि सरकारने इस प्रकार उन्हें देशकी सेवा करने और यह दिखानेका कि वे मनुष्य हैं, कुत्ते नहीं, अच्छा अवसर दिया है। मैं इतना अन्धविश्वासी तो हूँ ही कि यह मान लूँ कि ऐसी चीजोंका बारबार मुल्तवी होना, भले ही वे अन्तमें घटित हो जायें, हवाका रुख जाहिर करता है, और उनसे यह भी मालूम होता है कि भगवान हमारे साथ है।

  1. प्रस्तुत विवरण स्टारके संवाददाताका है, जो बादमें इंडियन ओपिनियन में "श्री गांधीकी विदाई: नेताओंकी गिरफ्तारी" शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था।
  2. उपलब्ध नहीं है।