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भेंट: 'रैंड डेली मेल' को

और दण्ड स्थगित रखे जायेंगे। हम फिर अपने देशभाइयोंपर पंजीयन करानेके लिए पूरा जोर डालेंगे और उन लोगोंसे, जो पंजीयन करानेसे इनकार करते हैं या जो कानूनन पंजीयनके हकदार नहीं हैं, अपना सारा सम्बन्ध तोड़ लेंगे।

हम उपर्युक्त सुझाव इसलिए पेश कर रहे हैं कि हम सरकारके सामने यह सिद्ध करनेके लिए सचमुच उत्सुक हैं कि हम वफादार और कानूनका पालन करनेवाले हैं, तथा हम ऐसा कोई भी रास्ता अपनानेको तैयार हैं जो हमारी अन्तरात्माको चोट पहुँचाये बिना[१], तथा किसी प्रकार हमारा अपमान किये बिना या हमपर कोई लांछन लगाये बिना[२], हमें इस मुसीबत से बाहर निकाल ले जाये।

आपके आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी
लिअंग क्विन[३]
थम्बी नायडू[४]

[ अंग्रेजीसे ]

प्रिटोरिया आर्काइव्ज़ और टाइप की हुई तथा हाथसे संशोधित दफ्तरी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४९०७) और कलोनियल आफिस रेकर्ड्स, २९१/१२७ से।

१९. भेंट: 'रैंड डेली मेल' को

[ जोहानिसबर्ग
जनवरी ३०, १९०८]

श्री गांधीके [ प्रिटोरियासे ] वापस आनेपर 'मेल' का एक प्रतिनिधि उनसे मिला था...

समझौते सम्बन्धमें अनेक प्रश्नोंकी बौछार तुरन्त उनपर हुई...

[ संवाददाता: ] दोनों पक्षोंके लिए सम्मानपूर्ण, श्री गांधी?

[ गांधीजी : ] बिलकुल। उपनिवेशके सम्मानपर जरा भी आँच नहीं आई। साथ ही एशियाइयोंकी भावनाओं और संशयोंका पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है।

तो यह झुकना नहीं है?

बिलकुल नहीं। हमने केवल एक ऐसी व्यवस्था की है, जिससे सारा प्रश्न सन्तोषजनक रूपसे हल हो गया है---सन्तोषजनक सभी सम्बद्ध पक्षोंके लिए।

  1. "हमारी अन्तरात्माको चोट पहुँचाये बिना"---ये शब्द मसविदेमें गांधीजी द्वारा बढ़ाये गये हैं।
  2. मसविदेमें यहाँ शब्दकी गलती है।
  3. "जोहानिसबर्ग के चीनी अधिवासियोंके नेता", चीनी संघ तथा कैंटोनीज क्लबके अध्यक्ष।
  4. थम्बी नायडू; मॉरिशसके एक तमिल व्यापारी जिन्हें गांधीजीने 'शेरके समान' कहा है। यदि उनके स्वभावमें उतावलापन न होता तो वे ट्रान्सवालके भारतीय समाजका नेतृत्व ग्रहण कर लेते; भाषाएँ सीखने तथा भोजन तैयार करनेके प्रति उनका बड़ा चाव था; वे अनाक्रामक प्रतिरोधी भी रहे और बादको तमिल कल्याण समितिके अध्यक्ष बने। दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २० भी देखिए।