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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

और कुछ?

श्री गांधीने कुछ और कहनेसे इनकार कर दिया और बताया कि वार्ताओंके बारेमें आगे कुछ कहने का यह उपयुक्त अवसर नहीं है।

इस समय हमारे संवाददाताने देखा कि श्री गांधीके सिरके बाल बहुत बारीक कटे हुए थे और उनकी मूंछें भी कटी थीं। श्री गांधीसे प्रश्न किया गया कि क्या उनपर भी वे नियम लागू किये गये थे जो साधारणतः मामूली कैदियोंपर लागू होते हैं?

नहीं, यह सब मैंने स्वयं किया है। जैसा कि आप जानते हैं, कैदियोंको कंधों तथा ब्रुशोंका इस्तेमाल करनेकी इजाजत नहीं होती। इसलिए मैंने स्वास्थ्यकी दृष्टिसे किला-जेल (फोर्ट) के गवर्नरसे दरख्वास्त की कि मुझे बाल कटानेकी इजाजत दी जाये। पहले वे हिचके, परन्तु बादमें राजी हो गये---और अब मुझे देखिए।

किला-जेल में आपके साथ कैसा व्यवहार हुआ?

मेरा पूरा लिहाज रखा गया--उतना लिहाज, जितना कि नियमोंके अनुसार गवर्नर मेरे प्रति कर सकते थे। वहाँके अधिकारियोंने जिस ढंगका बरताव हमारे साथ किया, उसकी प्रशंसा किये बगैर मैं नहीं रह सकता। परन्तु इस दिशा में उनके अधिकार सीमित हैं।

और खाना?

साधारण खुराक।

जेलके किस हिस्से में आप रखे गये थे?

वतनियोंके हिस्से में।

फोर्ड्सबर्गकी मस्जिद तक की अल्प यात्रामें कुल इतनी ही बातचीत हो सकी। मस्जिदके सम्मेलन-स्थानपर श्री गांधी अपने बहुत-से देशभाइयोंसे मिले, यद्यपि समय अर्धरात्रिके बादका हो चुका था। उन्होंने उन वफादार अनुयायियोंको संक्षेपमें बताया कि उनकी रिहाई किन कारणोंसे हुई।

उपर्युक्त बातचीत से मनपर यह छाप पड़ी कि श्री गांधी अपनी रिहाईको सत्याग्रह आन्दोलनमें भाग लेनेवालोंकी विजय माननेको हरगिज तैयार नहीं थे। उलटे, वे इस बातसे बहुत खुश दिखाई दिये कि एक ऐसे समझौतेपर पहुँचा जा सका है, जिससे दोनों पक्षोंमें से किसीके सम्मान, साख या प्रतिष्ठाको क्षति नहीं पहुँची है।

बाकी एशियाई किलेसे आज सुबह रिहा किये जायेंगे।

[ अंग्रेजी से ]
रैंड डेली मेल, ३१-१-१९०८