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५३. कैदियोंकी स्थिति

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शनिवार, [ अक्तूबर १०, १९०८ ]

जिस तरह जनवरी में जोहानिसबर्ग जेल भारतीयोंसे भर गयी थी, उसी तरह इस समय फोक्सरस्ट जेल भी भर गई है । भारतीय उसमें आते ही जा रहे हैं । इस समय जेल में ३७ भारतीय हैं। इनमें से निम्नलिखित १७ लोग सजा काट रहे हैं :

सर्वश्री दाउद मुहम्मद, पारसी रुस्तमजी, एम० सी० आंगलिया, शापुरजी रांदेरिया, सोराबजी शापुरजी, आजम सेदू पटेल - • इनमें से हरएककी तीन-तीन महीने की सजा हुई है । सर्वश्री काजी काला मियाँ दादामियाँ, उमर उस्मान, मूलजी उका मायावसी, इब्राहीम हुसेन, इस्माइल ईसप, वली आमदजी रांदेरवाला, मोहनलाल परमानन्ददास कीलावाला, हरिशंकर ईश्वर जोशी, मोहनलाल नरभेराम गोशलिया, सुरेन्द्रराय बापुभाई मेढ और उमियाशंकर मंछाराम शेलत - इनमें से हरएक छः-छः हफ्तेकी सजा काट रहे हैं।

नीचे के १९ लोगोंपर मुकदमे चलने को हैं । जमानतपर छूट आने के बजाय वे हवालात में पड़े [ वहाँकी ] हवा खा रहे हैं ।

सर्वश्री मावजी, करसनजी कोठारी, रतनशी मूलजी सोढा, खत्री दामोदर दुलभ गणदेवी, खत्री डाह्या नरसी, झीणाभाई वल्लभभाई उगी, भीखाभाई कल्याणजी उगी, लालभाई नथुभाई, वसनजी लालभाई, मूनसामी इलेरी, मूलजी रतनजी, हीरा मूलजी, राघवजी रघुनाथ मेहता, रविकृष्ण तालेवंतसिंह, दावजी अहमद, करसन जोगी, लक्ष्मण वर्ताचलन, मोरार मकन, पकीरी नायडू और मो० क० गांधी ।

इनमें से श्री मावजी करसनजी कोठारी आज ही जमानत पर छूटकर सबकी अनुमति से शहर गये हैं । उद्देश्य यह है कि डर्बनसे आनेवाली गाड़ीपर ध्यान रखा जाये। ऐसा लगता है कि चार्ल्सटाउनमें तीन मद्रासियोंने कानूनकी शरण में जानेका प्रार्थनापत्र दिया है। ऐसे लोगों को ठीक-ठीक जानकारी देनेकी आवश्यकता होने के कारण श्री मावजीसे जमानत दिलाना निश्चित हुआ। उनके जेल जाने के बाद कोई दूसरा प्रबन्ध करना पड़ेगा ।

रमजान शरीफ

सभी मुसलमान कैदी विधिपूर्वक रमजान रखते हैं । उनके लिए श्री काजी विशेष रूपसे भोजन बनाकर लाते हैं। गवर्नरने यह भोजन लाने की खास इजाजत दे दी है । इसके सिवाय उन्हें कमरेमें घड़ी रखने और लालटेन जलानेकी इजाजत भी मिली हुई है । सब नियमित रूपसे नमाज पढ़ते हैं और चैनसे रहते हैं । १. यह फोक्सरस्ट जेलसे लिखा गया जान पड़ता है। गांधीजी ७ अक्तूबरको गिरफ्तार होनेके बाद वहीं अपना मुकदमा चलनेकी प्रतीक्षा कर रहे थे। यह फोक्सरस्ट स्थित “विशेष संवाददाता द्वारा प्रेषित " रूपमें प्रकाशित हुआ था ।

  1. यह फोक्सरस्ट जेलसे लिखा गया जान पड़ता है। गांधीजी ७ अक्तूबरको गिरफ्तार होनेके बाद वहीं अपना मुकदमा चलनेकी प्रतीक्षा कर रहे थे। यह फोक्सरस्ट स्थित “विशेष संवाददाता द्वारा प्रेषित " रूपमें प्रकाशित हुआ था ।