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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

देश-निकाला हुआ

श्री झीणाभाई वल्लभभाई, श्री भोखा कल्याण तथा मुहम्मद हुसेनको देश-निकालेका हुक्म हुआ है । कल शुक्रवारको उन्हें निष्कासित किया गया। इसके पहले उन्हें तेरह दिन तक जेल में व्यर्थ ही रखा गया । इनमें से श्री झीणाभाई तथा श्री भीखाभाई सीमाके उस पार पहुँचाये जाने के तुरन्त बाद वापस आ गये । कलकी रात उन्होंने फोक्सरस्ट में पुलिस स्टेशनपर बिताई । आज यहाँ उनका स्वागत किया गया। श्री मुहम्मद हुसेन कोंकणी डर गये और चार्ल्स टाउन में ही रह गये ।

सोराबजी तथा आजम

उक्त दोनों सज्जन लम्बी कैद भोगकर तप गये हैं। उन्हें आज तीन बजे सीमासे निष्कासित किया गया। इसका हेतु जरा भी समझमें नहीं आता । जो हो, वे जाते ही तुरन्त वापस आ जायेंगे, इसलिए ऐसा होकर रह जायेगा मानो सरकारने दिल्लगी की है।

रविवार, [ अक्तूबर ११, १९०८]

भारतके उक्त दोनों बहादुर सिपाही, जो अनेक संघर्षोंमें जूझ चुके हैं, सीमाके उस पार जानेके तुरन्त बाद वापस आ गये । सीमाके उस पार होनेके बाद तुरन्त ही एक पल खोये बिना वे ट्रान्सवालकी सीमामें कूद पड़े और जो भाई साहब सीमा पार करानेके लिए गये थे, उन्हींके हाथ गिरफ्तार हो गये तथा फिर किंग एडवर्ड होटलमें दाखिल हो गये । चार्ल्सटाउनके सारे भारतीय उनसे मिलनेके लिए निकल पड़े थे। उन्हें निराश होना पड़ा। उन्हें उनकी मेहमानी करनेका अवसर तक प्राप्त न हो सका। जो बेचारा चीनी श्री सोराबजी तथा श्री आजमजीके साथ सोमाके पार कर दिया गया था, उसे चार्ल्सटाउनका अधिकारी खींचकर ले गया । इससे जाहिर होता है कि भारतीयोंका सम्मान बढ़ गया है। गोरोंको उनसे कुछ भय लगने लगा है । अदालत उक्त चीनीका कुछ नहीं कर सकती और प्रवासी अधिकारी ( इमिग्रेशन ऑफिसर) भी उसे रोक नहीं सकते ।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, १७-१०-१९०८