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५४. प्रार्थनापत्र : रेजिडेन्ट मजिस्ट्रेटको

[१]

फोक्सरस्ट जेल
अक्तूबर ११, १९०८

आवासी मजिस्ट्रेट
[२] फोक्सरस्ट

नीचे हस्ताक्षर करनेवाले फोक्सरस्ट जेलके

वन्दियोंका प्रार्थनापत्र

सविनय निवेदन है कि :

आपके प्रार्थी सम्राट्की फोक्सरस्ट स्थित जेलके बन्दी हैं और या तो सजा काट रहे हैं या उनपर मुकदमा चलनेवाला है ।

आपके प्रार्थी ब्रिटिश भारतीय हैं ।

ब्रिटिश भारतीयोंके लिए निश्चित आहार-तालिकाका अवलोकन करनेपर आपके प्रार्थियोंको मालूम हुआ कि उन्हें खाने के साथ चिकनाई बिलकुल नहीं दी जाती ।

सजायाफ्ता कैदियोंकी आहार तालिकामें केवल मकईका दलिया, सब्जियाँ तथा चावल होता है। मुकदमेकी प्रतीक्षा करनेवाले बन्दियोंके आहारमें रोटी और जोड़ दी जाती है ।

आपके प्रार्थी देखते हैं कि वतनियोंको नियमित रूपसे चर्बी दी जाती है और यूरोपीयोंको मांस दिया जाता है, जिसमें चर्बी पर्याप्त मात्रामें होती है ।[३] आपके प्रार्थियोंके नम्र विचारके अनुसार जो आहार ब्रिटिश भारतीय बन्दियोंको दिया जाता है वह स्वास्थ्य की दृष्टिसे अपूर्ण है, क्योंकि भारतीय आहारमें चिकनाईका अभाव रहा करता है ।

इसके अलावा आपके प्रार्थी धार्मिक कारणोंसे सामिष भोजन अथवा मांससे प्राप्त स्निग्ध पदार्थ[४] खानेमें असमर्थ हैं; इसलिए जिस दिन मांसकी बारी होती है उस दिन वे मांस या उसकी जगह लेने योग्य आहारके बिना ही रह जाते हैं ।[५]

  1. गांधीजीने आरम्भमें यह प्रार्थनापत्र अपने हाथसे लिखा और फिर, जैसा कि स्पष्ट है, कुछ सुधार करते हुए लिखाया था, जो बादमें स्वीकार किया गया । परन्तु यह दूसरा मसविदा भी भेजने के पूर्व संशोधित किया गया था ।
  2. रेजिडेंट मजिस्ट्रेट |
  3. पहले मसविदेमें यहाँ ये शब्द थे : " आपके प्रार्थी देखते हैं कि यूरोपीयों और वतनियोंको नियमित रूपसे चर्बी दी जाती है ।"
  4. पहले मसविदे में “ अथवा मांससे प्राप्त स्निग्ध पदार्थ " ये शब्द नहीं थे ।
  5. पहले दो मसविदोंमें यहाँ नीचेके अनुच्छेद थे, किन्तु अन्तिम मसविदेमें उन्हें छोड़ दिया गया था : " आपके मुसलमान प्रार्थियोंको, रमजान का महीना होनेके कारण, गत कुछ दिनोंसे बाहरसे भोजन लेनेकी कृपापूर्वक अनुमति दे दी गई है। " उक्त अनुमतिके परिणामस्वरूप चर्बी तथा मांसकी जगह ले सकनेवाले आहार के अभावसे उत्पन्न कठिनाई थोड़े-से लोगों तक ही सीमित रह गई है । " किन्तु अब अन्य अनेक वन्दियोंके आ जानेसे कठिनाई बढ़ गई है । " ९-७