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पत्र: 'रैंड डेली मेल' को

शिक्षित ब्रिटिश भारतीयोंके सम्बन्धमें जनरल स्मट्सने* कहा था कि ऐसे लोग यदि एशियाई पंजीयन अधिनियम (एशियाटिक रजिस्ट्रेशन ऐक्ट ) के अन्तर्गत प्रार्थनापत्र देंगे तो उनके * प्रवेशपर कोई आपत्ति न की जायेगी । यह अत्यन्त असन्तोषजनक है, क्योंकि

(१) एशियाई कानूनके अन्तर्गत दिये गये अधिकारोंमें केवल अस्थायी अनुमतिपत्रों ( टेम्पररी परमिट्स) का उल्लेख है;

(२) ऐसे अस्थायी अनुमतिपत्र लम्बे अर्सेके हों तो भी उनसे उनके मालिक निषिद्ध प्रवासी हो जायेंगे;

(३) इन अनुमतिपत्रोंके आधारपर इसलिए उनके मालिक अपना धन्धा न कर सकेंगे;

(४) अस्थायी अनुमतिपत्रों से उनके मालिक सरकारकी दयापर निर्भर हो जायेंगे ।

ऐसी अनिश्चित अवस्थाके बजाय भारतीय यह चाहते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयोंका स्वतन्त्र प्रवासियोंके रूपमें ट्रान्सवाल में प्रवेशका असन्दिग्ध अधिकार कायम रखा जाये, बशर्ते कि अधिकारियों द्वारा रखी गयी किसी भी शिक्षा-सम्बन्धी परीक्षामें वे पास हो जायें ।

यदि यह आपत्ति की जाये कि कानूनमें ऐसा कोई अधिकार सुरक्षित नहीं है जिसके अन्तर्गत मन्त्री कठिन या भेदभावपूर्ण परीक्षाएँ रख सकें -- मैं यह नहीं मानता कि वर्तमान कानून इस उद्देश्य की पूर्तिके लिए पर्याप्त नहीं है--तो मेरे देशवासी अपने विरुद्ध प्रशासनिक भेदभावके सम्बन्ध में कोई आपत्ति न करेंगे। इस प्रकार मन्त्रीको कोई भी शिक्षा-सम्बन्धी परीक्षा रखनेका, विभिन्न वर्गोंके लिए विभिन्न परीक्षाएँ रखनेका भी, अधिकार दिया जा सकता है। ऐसे मामलों में मन्त्रीका निर्णय अन्तिम हो और उसके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील न की जा सके। ऐसी कठोर परीक्षाके अन्तर्गत सरकारको किसी भी साल उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयोंका प्रवेश छः तक सीमित करनेका अधिकार होगा ।

मेरे देशवासी शिक्षित भारतीयोंके सम्बन्ध में प्रजातीय (रेशियल) प्रतिबन्ध लगानेपर रोष प्रकट करते हैं, क्योंकि वे इसे राष्ट्रीय अपमान समझते हैं । इसलिए यद्यपि यह जनरल स्मट्सकी दृष्टि में बहुत कुछ भावुकताका प्रश्न है, किन्तु भारतीयोंकी दृष्टिमें यह महत्त्वपूर्ण सिद्धान्तका प्रश्न है ।

हम चाहे माँग करें या न करें, १९०७ के कानून २ का रद किया जाना आवश्यक है । प्रवासी - कानून में भी संशोधन आवश्यक है, क्योंकि उसकी कई धाराओंकी सर्वोच्च न्यायालयाने कड़ी निन्दा की है। तब इसके संशोधनके समय ही इसको एशियाई कानूनकी खराबीसे मुक्त रख कर उसको इस प्रकार क्यों न बदल दें, जिससे मन्त्रीको शिक्षा-सम्बन्धी परीक्षा लागू करने सम्बन्ध में अतिरिक्त अधिकार मिल जायें ? जबतक शिक्षा-सम्बन्धी परीक्षाके अन्तर्गत किसी एक वर्षमें छः उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीय आने दिये जायेंगे तबतक भारतीय, अपनी ओरसे, इस परीक्षाके प्रशासनके सम्बन्ध में अनाक्रामक प्रतिरोध न करनेका वचन देते हैं ।

आपका,आदि,
मो० क० गांधी

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४९१४) से ।

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